जर्मनी में भी लीगल हुआ गांजा, संसद से मिल गई अनुमति; अब ऐसे होंगे नियम
Representative Image (Pixabay)
Germany Votes To Legalize Marijuana : जर्मनी की संसद ने शुक्रवार को गांजा रखने और इसे उगाने को कानूनी बनाने के लिए वोटिंग की थी। विपक्ष और मेडिकल संगठनों की ओर से भारी विरोध के बाद भी इसे अनुमति मिल गई है और इससे जुड़े नियम अप्रैल से लागू हो जाएंगे। इस रिपोर्ट में पढ़िए नए नियम जर्मनी में क्या बदलाव लाएंगे और इससे क्या असर पड़ सकता है।
नया कानून लागू होने के साथ जर्मनी लग्जमबर्ग और माल्टा जैसे उन देशों में शामिल हो जाएगा जहां गांजे को लेकर नियम सबसे ज्यादा आसान हैं। बता दें कि माल्टा ने साल 2021 और लग्जमबर्ग ने साल 2023 में गांजे को रीक्रिएशनल यूज के लिए लीगल किया था। नीदरलैंड में इससे जुड़े नियम आसान हैं लेकिन पिछले कुछ साल से पर्यटकों और गैर नागरिकों पर यहां सख्ती की जा रही है।
जर्मनी में कैसे होंगे नए नियम
नए कानून के तहत एक व्यक्ति को निजी इस्तेमाल के लिए रेग्युलेटेड कैनबिस कल्टीवेशन एसोसिएशंस से प्रति दिन 25 ग्राम तक गांजा लेने की अनुमति होगी। इसके अलावा लोग अपने घर पर इसके अधिकतम तीन पौधे भी रख सकेंगे। लेकिन, नए कानून में यह प्रावधान भी किया गया है कि 18 वर्ष से कम उम्र वाले किसी भी व्यक्ति के लिए गांजा रखना और इस्तेमाल करना गैरकानूनी रहेगा।
ब्लैक मार्केट से हो रही खरीद
रिपोर्ट्स के अनुसार जर्मनी में गांजा पीने वाले युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। लीगल न होने की वजह से उन्हें गांजा ब्लैक मार्केट से खरीदना पड़ता है। जर्मन कैनबिस एसोसिएशन के अनुसार ब्लैक मार्केट से खरीदे गए गांजा में रेत, हेयर स्प्रे, टाल्कम पाउडर, मसाले और यहां तक कि ग्लास और लेड का इस्तेमाल भी किया जाता है जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक हैं।
विपक्ष क्यों कर रहा है विरोध
वहीं, इसे लेकर विपक्ष का कहना है कि नया कानून केवल युवाओं के स्वास्थ्य के लिए खतरा बढ़ाने का काम करेगा। विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि चांसलर ओलाफ शोल्ज की गठबंधन सरकार नई नीति अपनी विचारधारा के लिए ला रही है, न कि देश के लिए। बता दें कि स्वास्थ्य संगठनों और मेडिकल एसोसिएशंस ने गांजा को लीगल करने वाले इस कानून की सख्त आलोचना की है।
जर्मनी की जनता क्या कहती है
नए कानून के तहत जर्मनी में कैनबिस सोशल क्लब्स की जुलाई से शुरुआत हो जाएगी। अभी तक जर्मनी में गांजा पीने की अनुमति केवल उन लोगों को दी जाती है जो किसी मेडिकल समस्या से जूझ रहे हैं। इसका निजी इस्तेमाल प्रतिबंधित था। उल्लेखनीय है कि एक सर्वे के अनुसार देश की 47 प्रतिशत जनता इस कानून के समर्थन में हो तो 42 प्रतिशत ने इसके खिलाफ विरोध जताया है।
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