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ट्रंप की टैरिफ नीति से भारत-रूस को अलग करने की कोशिशें हुई नाकाम, बोले पूर्व अमेरिकी अधिकारी

Donald Trump Tariffs: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने ट्रंप की टैरिफ नीति की आलोचना करते हुए कहा भारत के साथ इस रणनीति को अपनाने के चलते अमेरिका के दशकों पुराने भारत-रूस को अलग करने के प्रयास को बर्बाद कर दिया है। जानिए पूरी बात।

Donald Trump Tariffs: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति की आलोचना करते हुए कहा कि इससे दशकों से चली आ रही अमेरिका की कोशिशों को बर्बाद कर दिया है, जिनका मकसद भारत को रूस से दूर करना और उसे चीन के बढ़ते प्रभाव से सावधान करना था। बोल्टन का कहना है कि ट्रंप ने रणनीतिक पहलुओं को नजरअंदाज कर सिर्फ व्यापारिक हितों पर ध्यान दिया, जिससे अमेरिका और भारत संबंधों में दरार आ रही है, जिससे चीन को फायदा मिल रहा है।

दशकों की मेहनत पर फिरा पानी

बोल्टन ने कहा कि सालों से अमेरिका लगातार भारत को रूस से दूरी बनाने और पश्चिमी खेमे की ओर झुकाने की कोशिश करता रहा है। यह प्रक्रिया आसान नहीं थी, लेकिन पिछले कुछ दशकों में भारत-अमेरिका संबंध काफी मजबूत हुए थे। अब ट्रंप की टैरिफ नीति से उस पूरी मेहनत को ध्वस्त कर दिया है। उनका मानना है कि अगर अमेरिका ने इस दिशा में ध्यान नहीं दिया तो भारत फिर से रूस और चीन के करीब हो सकता है।

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चीन को मिल रहा फायदा

जॉन बोल्टन ने आगे कहा है कि टैरिफ नीति से चीन को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। पीएम मोदी के SCO समिट में हिस्सी लेने के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव कम हुआ है और कई अहम मुद्दों पर भी फैसले लिए गए हैं। टैरिफ नीति के चलते दोनों देश नजदीक हुए हैं। ऐसे में एशिया की शक्ति में बढ़ावा हुआ है। चीन और भारत के बीच बढ़े व्यापारिक संबधों से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था में बदलाव होगा।

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रूस से भी गहरे हुए संबंध

25वें शिखर सम्मेलन में चीन और भारत की मुलाकात के साथ पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से भी मुलाकात की है। वहां, दोनों देश एक-दूसरे से कंधा मिलाए खड़े दिखे, जो एक चुनौतीपूर्ण स्थिति को दर्शाता है।

क्यों उठी नाराजगी?

दरअसल, ट्रंप सरकार ने भारत पर 50% तक टैरिफ लगाया है। इसमें 25% रेसिप्रोकल टैरिफ और अतिरिक्त 25% रूस से कच्चा तेल खरीदने पर लगाया गया शुल्क शामिल है। बोल्टन का कहना है कि यह फैसला केवल आर्थिक दृष्टिकोण से लिया गया था, जबकि अमेरिका को रणनीतिक रूप से सोचना चाहिए था। भारत एशिया में अमेरिका का अहम साझेदार है, ऐसे में इस तरह की नीतियां रिश्तों में खटास पैदा कर रही हैं।

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