यूरोपीय देश डेनमार्क स्कूल और यूनिवर्सिटी में बुर्का-नकाब पहनने पर बैन लगाने की तैयारी में है. इसके लिए बिल तैयार है, जिसे फरवरी 2026 में संसद में पेश किया जाएगा. अगर संसद में बिल पास हो गया तो डेनमार्क के शिक्षण संस्थानों में बुर्का और नकाब पहनने पर प्रतिबंध लग जाएगा. बता दें कि डेनमार्क में सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब पहनने या मुंह ढकने पर बैन है. अगस्त 2018 में बैन लगाया गया था और बैन का उल्लंघन करने पर जुर्माने का प्रावधान भी है.
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ऑस्ट्रिया की तर्ज पर बनाया गया है बिल
डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन ने बिल को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में बताया कि सार्वजनिक स्थानों पर मुंह ढकने या हिजाब पहले पर प्रतिबंध लगाया गया था और अब इस प्रतिबंध के दायरे में स्कूलों और यूनिवर्सिटी को लाने का प्लान है. ऑस्ट्रिया की सरकार गत 11 दिसंबर को 14 साल से कम उम्र की लड़कियों के लिए स्कूलों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून बनाकर लागू कर चुकी है. इसी तर्ज पर डेनमार्क ने प्रस्ताव तैयार किया है.
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मानवाधिकार कार्यकर्ता कर रहे हैं विरोध
स्कूलों और यूनिवर्सिटी में बुर्का-नकाब बैन करने के डेनमार्क सरकार के प्रस्ताव का मानवाधिकार और इस्लामिक संगठनों ने विरोध किया है. मानवाधिकार संगठन इस प्रस्ताव को भेदभाव करने वाला, महिलाओं की आजादी, उसकी पसंद-नापसंद की आजादी का उल्लंघन बता रहे हैं. इस्लामिक संगठनों ने इसे इस्लाम धर्म की आस्था और नियमों के खिलाफ बताया है. इस्लामिक समूहों का कहना है कि डेनमार्क की सरकार का नया फैसला कतई मंजूर नहीं है.
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क्या कहते हैं सरकारी प्रस्ताव के समर्थक?
बता दें कि शिक्षण संस्थानों में बुर्का-नकाब प्रतिबंधित करने के डेनमार्क सरकार के प्रस्ताव का कई लोगों ने समर्थन भी किया है. समर्थकों ने प्रस्ताव को सामाजिक समावेश को बढ़ावा देने वाला बताया है. मुसलमानों और इस्लाम धर्म के लोगों के लिए डेनमार्क के समाज में घुलने-मिलने का मौका बताया है. पर्दे में रहने वाली लड़कियों और महिलाओं को पुराने मानदंडों के खिलाफ उनकी लड़ाई में साथ देने की पहल बताया है. वहीं लिबरल पार्टी (वेंस्ट्रे) के प्रवक्ता हान्स एंडरसन कहते हैं कि यह प्रस्ताव बहुत पहले आ जाना चाहिए था, लेकिन अब इसे लेकर अच्छा काम किया जा रहा है.