बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन हो गया है. उन्होंने 80 साल की उम्र में ढाका के एवरकेयर अस्पताल में आज सुबह 6 बजे आखिरी सांस ली. उन्हें 23 नवंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 11 दिसंबर से वे वेंटिलेटर पर थीं. खालिदा जिया लिवर सिरोसिस, किडनी, फेफड़ों और दिल की बीमारी से जूझ रही थीं. हाल ही में उनके बेटे तारिक रहमान 17 साल के निर्वासन के बाद बांग्लादेश लौटे और उन्होंने अपनी मां की पार्टी की कमान संभाली.
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अगस्त 2024 में हुई थीं जेल से रिहा
बता दें कि खालिदा जिया भ्रष्टाचार के मामलों में सजायाफ्ता थीं और जेल में थीं, लेकिन शेख हसीना की सरकार का पतन होने के बाद अगस्त 2024 में उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया था. क्योंकि खालिदा जिया बीमार थीं, इसलिए वे जनवरी 2025 में इलाज कराने के लिए लंदन चली गई थीं. तबियत में सुधार होने पर वे मई 2025 में लंदन से लौट आईं, लेकिन नवंबर 2025 में उनकी तबियत अचानक इतनी बिगड़ गई कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. हालांकि डॉक्टरों ने उन्हें विदेश ले जाने की सलाह परिजनों को दी थी, लेकिन रिस्क होने के चलते उन्हें विदेश नहीं ले जाया गया.
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बेटे और पोती की राजनीति में एंट्री
बता दें कि खालिदा जिया बांग्लादेश की राजनीति का बड़ा नाम हैं और वे शेख हसीना की मुख्य प्रतिद्वंदी भी थीं. उन्होंने बीते दिन ही बोगरा-7 सीट से आम चुनाव नामांकन भी भर दिया था, लेकिन अगले ही दिन फज्र की नमाज के बाद उनका निधन हो गया. खालिदा के बेटे तारिक रहमान ने 17 साल बाद विदेश से लौटकर राजनीति में एंट्री की है और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की बागडोर संभाली. वहीं खालिदा जिया की पोती जायमा रहमान भी राजनीति में एंट्री करने की तैयारी कर रही हैं.
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3 बार देश की प्रधानमंत्री रहीं खालिदा
खालिदा जिया बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की अध्यक्ष थीं और वे 3 बार देश की प्रधानमंत्री बन चुकी हैं. वे मार्च 1991 से फरवरी 1996 तक, दूसरी बार 1996 में कुछ हफ्तों के लिए और तीसरी बार अक्टूबर 2001 से अक्टूबर 2006 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रह चुकी थीं. बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री और मुस्लिम देशों में बेनजीर भुट्टों के बाद दूसरी महिला प्रधानमंत्री थीं. खालिदा जिया के पति जियाउर उहमान बांग्लादेश के राष्ट्रपति थे और 1981 में उनकी हत्या हो गई थी.
पति की मौत के बाद ही खालिदा जिया राजनीति में आई थीं और उन्होंने पति की पार्टी की बागडोर संभाली थी.