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लड़कियों के होंठ में डिस्क, शादी के लिए लड़कों की नग्न खूनी जंग : इस जनजाति की अजीब परंपराएं

अफ्रीका के कई देशों में अलग-अलग तरह की जनजातियां पाई जाती हैं. इन जनजातियों की अजीबोगरीब परंपराएं हैं, जिनका पालन वे हजारों वर्षों से कर रहे हैं.

सूरी नाम की जनजाति अफ्रीका के इथियोपिया में पाई जाती है.

दक्षिण अफ्रीका में बहुत सारी जनजातियां हैं. हर जनजाति की अपनी परंपराएं हैं. इन परंपराओं का ये हजारों वर्षों से पालन करते आ रहे हैं. कुछ परंपराएं बहुत ही अजीब है. आज हम बात करेंगे अफ्रीका के इथियोपिया देश में पाई जाने वाली एक जनजाति की. इस जनजाति का नाम है सूरी. ये लोग दक्षिण-पश्चिम इथोपियोपिया में रहते हैं. इनकी आबादी करीब 20 हजार बताई जाती है. ओमो घाटी के बेंच माजी इलाके में रहने वाली इस जनजाति के लोग नीलो सहारन भाषा परिवार की बोली बोलते हैं. इनकी दो परंपराएं बहुत अजीब है. पहली है कि यहां लड़की जवान होते ही उसे अपने नीचे वाले होंठ को काटकर एक छेद बनाया जाता है. इस छेद में मिट्टी की डिस्क पहननी होती है. दूसरी परंपरा है कि यहां लड़कों को शादी करने से पहले लड़ाई करनी पड़ती है. कई बार तो इस लड़ाई में लड़कों की मौत भी हो जाती है.

दुल्हन के लिए खूनी जंग

सूरी जनजाति के लड़कों की शादी की राह आसान नहीं है. उन्हें शादी से पहले अपनी बहादुरी दिखानी पड़ती है. इसके लिए यहां लड़ाई की परंपरा है. यह लड़ाई लड़कों के बीच में लड़ी जाती है. लड़कों को लड़ाई के वक्त कपड़े नहीं पहनने होते. वे नग्न होकर लकड़ी के डंडों से लड़ते हैं. कई बार तो इस लड़ाई में लड़कों की जान तक भी चली जाती है. इस परंपरा के जरिए लड़का लड़की को अपनी ओर आकर्षित करता है. जो लड़का लड़ाई जीत जाता है, दुल्हन उसे मिल जाती है. उसके बाद उस लड़की से उसकी शादी करवा दी जाती है.

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लड़ाई से पहले खास खाना

लड़ाई से पहले लड़के विशेष तरह का खाना खाते हैं. इसके लिए वे खासतौर पर जानवरों का खून पीते हैं. इनका मानना है कि इससे ताकत मिलती है. ताकि वे दुल्हन की लड़ाई को जीत सकें. इसके अलावा ये जानवरों का मांस भी खाते हैं.

लड़कियां पहनती हैं होंठों में डिस्क

इस जनजाति की लड़कियों की भी एक अजीब परंपरा है. जैसे ही लड़की युवा होने की ओर होती है. यानी उसकी उम्र 15 से 18 साल के बीच में होती है. उसे अपने नीचे वाले होंठ में एक डिस्क पहननी होती है. इसके लिए पहले लड़की के सामने के नीचे वाले दो दांत निकाले जाते हैं. फिर नीचे के होंठ में एक छेद किया जाता है. फिर उसमें एक गोल डिस्क पहनाई जाती है. यह डिस्क मिट्टी या लकड़ी दोनों में से किसी की भी हो सकती है. हर छह महीने में वो डिस्क बदलकर उसका साइज बढ़ा दिया जाता है.

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इसको लेकर रिवाज है कि जिस लड़की की डिस्क जितनी बड़ी होगी, उसे उतना ही ज्यादा सामाजिक दर्जा मिलता है. इतना ही नहीं, उसे कन्याधन भी ज्यादा मिलता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस जनजाति ने यह परंपरा सोच समझकर शुरू की थी. इसके पीछे की वजह है कि लड़कियों को गुलामी और व्यापार से बचाया जा सके. कहा जाता है कि ऐसा करने से लड़कियां सुंदर नहीं लगती, जिससे उन्हें गुलाम नहीं बनाया जा सकता.

करती क्या है ये जनजाति

इस जनजाति के लोग खासतौर पर पशु पालते हैं, इनमें गाय, भेड़ और बकरियां शामिल हैं. ये अपने जीवनयापन के लिए पशुओं पर ही निर्भर हैं.


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