एक बोतल पानी में 2,40,000 प्लास्टिक के टुकड़े, चौंकाने वाला खुलासा
बोतलबंद पानी में 2 लाख प्लास्टिक के टुकड़े मिले (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels)
Plastic Pieces Found in Bottled Water: बोतलबंद पानी खरीदना बेहद आसान है, यह हमें आसानी से मिल जाता है लेकिन इसको लेकर अब एक चौकाने वाला खुलासा हुआ है। एक रिसर्च के मुताबिक, बोतल बंद पानी में लाखों प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं। जिस पानी को हम साफ देखकर पी लेते हैं, वह पानी आपको बेहद बीमार बना सकता है। यह रिसर्च 'प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकैडमी ऑफ साइंसेज' में प्रकाशित हुई है।
रिसर्च के अनुसार, एक लीटर पानी की बोतल में औसतन लगभग 240,000 प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं। ये टुकड़े पहले के अनुमान से 100 गुना अधिक हैं। इससे पहले की रिसर्च केवल माइक्रोप्लास्टिक, या 1 से 5,000 माइक्रोमीटर के बीच के टुकड़े ही पाए गए थे। अध्यन में तीन नामी कंपनियों के बोतल बंद पानी को शामिल किया गया था हालाँकि ये कंपनियां कौन सी थी, इनके नाम की घोषणा नहीं की गई है।
वैज्ञानिकों को बोतलबंद पानी में माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक की मौजूदगी पर संदेह था, लेकिन उनकी पहचान नहीं हो पा रही थी। अब वैज्ञानिकों ने नई तकनीक (स्टीमुलेटेड रैमन स्कैटरिंग (एसआरएस) माइक्रोस्कोपी) का इस्तेमाल कर हैरान करने वाले निष्कर्ष तक पहुंचे हैं। नैनोप्लास्टिक्स, माइक्रोप्लास्टिक्स की तुलना में अधिक खतरानाक होते हैं क्योंकि ये इंसान के पाचन तंत्र और फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं।
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खतरा का अंदाजा इस बात से लगा लीजिये कि ये दिमाग और दिल से होते हुए अजन्मे बच्चे तक भी पहुंच सकते हैं। इंसान के जीवन पर इससे क्या परेशानी हो सकती है, इसको लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं है लेकिन कहा जाता है कि गैस्ट्रिक समस्याओं के साथ ही जन्म के वक्त बच्चों में शारीरिक असमान्यताएं तक हो सकती हैं। एक विशेषज्ञ ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि जरूरत होने पर भी बोतल का पानी ना पीएं लेकिन नल के पानी का उपयोग करना सबसे ठीक रहेगा।
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क्या होते हैं नैनोप्लास्टिक और माइक्रोप्लास्टिक?
माइक्रोप्लास्टिक: 5 मिलीमीटर से छोटे टुकड़े को कहा जाता है वहीं एक माइक्रोमीटर यानी एक मीटर के अरबवें हिंस्से को माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है। ये कण इतने छोटे होते हैं कि ये पांचन तंत्र से होते हुए फेफड़े तक पहुंच जाते हैं।
पिछले कुछ सालों में खाने की चीजों में प्लास्टिक की मौजूदगी से लोगों की चिंताएं बढ़ी हैं। दुनिया में हर साल 450 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन होता है। प्लास्टिक का अधिकतर हिस्सा नष्ट नहीं होता, बल्कि वह छोटे टुकड़ों में टूट जाते हैं।
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