International Women’s Day 2025: 1992 में जब लड़कियों के लिए भारतीय सेना में जाने का कोई रास्ता नहीं था, तब एक लड़की ने हिम्मत दिखाई। प्रिय झिंगन ने बचपन से ही अपने देश की सेवा करने का सपना देखा था, लेकिन उस समय सेना में सिर्फ पुरुषों को ही जगह मिलती थी। उन्होंने हार नहीं मानी और सीधे भारतीय सेना के प्रमुख को एक पत्र लिखा, जिसमें महिलाओं को भी सेना में भर्ती करने की गुजारिश की। यह सिर्फ एक पत्र नहीं था, बल्कि एक नई शुरुआत थी। प्रिय झिंगन के इस साहसिक कदम ने भारतीय सेना के दरवाजे महिलाओं के लिए खोल दिए।
सेना में महिलाओं की भर्ती का सपना
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हम आपको भारतीय सेना की पहली महिला कैडेट प्रिय झिंगन की प्रेरणादायक कहानी बता रहे हैं। 1992 में, जब सेना में महिलाओं की भर्ती नहीं होती थी, तब प्रिय झिंगन ने एक बड़ा कदम उठाया। उन्होंने उस समय के सेना प्रमुख जनरल सुनीथ फ्रांसिस रोड्रिग्स को पत्र लिखा और महिलाओं को सेना में शामिल करने की जरूरत पर जोर दिया। यह पत्र उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बना, क्योंकि उन्हें जवाब मिला कि जल्द ही महिलाओं को सेना में शामिल करने की योजना बनाई जा रही है। यह सुनकर प्रिय बहुत खुश हुईं, क्योंकि उनका सपना था कि वे भारतीय सेना की वर्दी पहनें और देश की सेवा करें।
पहली महिला कैडेट बनने का सफर
प्रिय झिंगन का सफर 1992 में तब शुरू हुआ, जब भारतीय सेना ने पहली बार महिलाओं की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला। 21 सितंबर 1992 को, 25 महिला कैडेट्स के पहले बैच को ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (OTA), चेन्नई में शामिल किया गया। प्रिय झिंगन को ‘लेडी कैडेट नंबर 1’ का दर्जा मिला। प्रशिक्षण के दौरान, उन्हें पुरुष कैडेट्स की तरह ही सख्त ट्रेनिंग दी गई। प्रिय ने कई बार बताया है कि उन्हें किसी तरह की कोई छूट नहीं मिली, बल्कि उन्हें पूरी तरह से एक सैनिक की तरह तैयार किया गया। यह ट्रेनिंग उनके लिए सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी एक बड़ी चुनौती थी, जिसे उन्होंने पूरे आत्मविश्वास के साथ पार किया।
सेना में शानदार करियर
प्रिय झिंगन ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से ‘यंग ऑफिसर्स कोर्स’ में टॉप किया और ‘इंस्ट्रक्टर ग्रेडिंग’ हासिल की। 6 मार्च 1993 को उन्हें भारतीय सेना के न्यायाधीश महाधिवक्ता विभाग (JAG) में अधिकारी बनाया गया। अपने 10 साल के करियर में उन्होंने कई कोर्ट-मार्शल का संचालन किया, हाई कोर्ट में सैन्य मामलों की पैरवी की, सैनिकों और स्टाफ को कानूनी प्रक्रियाओं की ट्रेनिंग दी और अपनी टीम का शानदार नेतृत्व किया। लेकिन उस समय महिला अधिकारियों को सिर्फ 10 साल तक ही सेवा करने का मौका मिलता था, इसलिए 2002 में प्रिय झिंगन मेजर के पद से रिटायर हो गईं।
प्रेरणा बनीं प्रिय झिंगन
प्रिय झिंगन की यह सफलता भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम थी। फरवरी 2018 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति ने भारतीय सेना में शामिल होने वाली पहली महिला के रूप में सम्मानित किया। उन्होंने अपने हौसले और संकल्प से यह साबित कर दिया कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं। उनकी कहानी उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा है, जो देश की सेवा करने का सपना देखती हैं। प्रिय झिंगन का यह साहसिक फैसला भारतीय सेना में महिलाओं की भर्ती की नींव बना और आज उनकी बदौलत हजारों महिलाएं सेना में शामिल होकर देश की रक्षा कर रही हैं।