एक बड़ी कंपनी (MNC) में वर्षों से मेहनत कर रही महिला कर्मचारी को अचानक नौकरी से निकाल दिया गया। वजह बताई गई “बजट कटौती” लेकिन क्या हकीकत कुछ और थी? ऑफिस में उसने हमेशा अपने हक के लिए आवाज उठाई ओवरटाइम से इनकार किया और शायद यही उसकी गलती बन गई। “मैंने उसे रोते हुए जाते देखा,” एक सहकर्मी ने सोशल मीडिया पर लिखा, जिससे मामला गरमा गया। सवाल उठता है क्या अपनी सीमाएं तय करना गुनाह है? इस घटना ने कॉरपोरेट जगत की सच्चाई उजागर कर दी जहां कभी-कभी मेहनत से ज्यादा चुप रहना जरूरी हो जाता है।
ओवरटाइम करने से इनकार करने पर कर्मचारी की नौकरी गई?
एक बड़ी कंपनी (MNC) में काम करने वाली एक महिला कर्मचारी को अचानक नौकरी छोड़ने के लिए कह दिया गया। कंपनी ने कहा कि यह बजट की कमी के कारण हुआ लेकिन उसके सहकर्मियों को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा। लोगों का कहना है कि असली वजह बजट की कमी नहीं बल्कि उस महिला का ओवरटाइम करने से इनकार करना था। एक सहकर्मी ने सोशल मीडिया पर लिखा “मैंने उसे रोते हुए जाते देखा। अगर सच में बजट की दिक्कत थी तो सिर्फ उसी को क्यों निकाला गया?”
कंपनी की अच्छी छवि को लगा झटका
रेडिट पर एक और कर्मचारी ने इस घटना को लेकर अपनी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी को अच्छा और आरामदायक कामकाजी माहौल देने के लिए जाना जाता था जहां कई लोग सालों से काम कर रहे हैं। लेकिन इस अचानक हुई छंटनी ने सभी को हैरान कर दिया। जिस महिला कर्मचारी को निकाला गया वह हमेशा खुलकर अपनी बात कहती थीं और जरूरत से ज्यादा काम करने से मना कर देती थीं। जबकि बाकी सहकर्मी बिना कुछ कहे ओवरटाइम करने को तैयार हो जाते थे। अब लोग सोचने लगे हैं कि क्या कंपनी का माहौल पहले जैसा अच्छा रह गया है?
सिर्फ एक ही कर्मचारी को क्यों निकाला गया?
इस पोस्ट के बाद कई अन्य कर्मचारियों ने भी अपनी राय रखी। एक व्यक्ति ने लिखा, “अगर बजट कटौती ही असली कारण था तो केवल एक कर्मचारी को क्यों निकाला गया? क्या बाकी कर्मचारियों की सैलरी पर इसका असर नहीं पड़ा?” इससे यह संदेह और बढ़ गया कि कहीं यह छंटनी सिर्फ इसलिए तो नहीं की गई क्योंकि वह कर्मचारी ओवरटाइम काम करने के लिए तैयार नहीं थी।
नौकरी में राजनीति जरूरी?
रेडिट पर कई लोगों ने सलाह दी कि किसी भी कंपनी में काम करते समय वहां की राजनीति को समझना जरूरी होता है। एक यूजर ने लिखा “यह दुखद है, लेकिन ऑफिस में समझदारी से चलना पड़ता है। सीधे मना करने के बजाय बात को ढंग से समझाना बेहतर होता है।” कुछ लोगों ने यह भी कहा कि सिर्फ एक तरफ की बात सुनकर फैसला लेना सही नहीं होगा। एक और यूजर ने लिखा “हर निकाले गए कर्मचारी की अपनी कहानी होती है जिसमें बॉस ही बुरा लगता है। असली सच हमें नहीं पता।” इस घटना ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है क्या उस महिला को ओवरटाइम से इनकार करने की सजा मिली या यह सच में बजट कटौती का मामला था? इसका जवाब तो अभी नहीं मिला लेकिन बाकी कर्मचारियों को इससे एक सबक जरूर मिल गया कि ऑफिस में संभलकर रहना जरूरी है।