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UP News: महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों में अब नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत, UP सरकार ने पारित किया ये नया विधेयक

UP News: योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा (Uttar Pradesh Vidhansabha) ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई है। राज्य विधानसभा ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से रोक लगाते हुए दंड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) विधेयक 2022 […]

UP News: योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा (Uttar Pradesh Vidhansabha) ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के प्रति 'जीरो टॉलरेंस' की नीति अपनाई है। राज्य विधानसभा ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से रोक लगाते हुए दंड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) विधेयक 2022 (Code of Criminal Procedure (Amendment) Bill 2022) पारित किया। अभी पढ़ें – AAP सांसद ने पंजाब के राज्यपाल पर साधा निशाना, बोले- ये आदेशऑपरेशन लोटसके साजिश को साबित करता

CRPC के प्रावधानों में होगा बदलाव

सीएम योगी आदित्यनाथ की पहल पर यूपी विधानसभा में पेश किए गए इस बिल में महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों के आरोपियों की अग्रिम जमानत खत्म कर दी गई है। इससे सीआरपीसी के प्रावधानों में बदलाव किया जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक यूपी विधानसभा में गुरुवार को महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए उठाए कदमों पर चर्चा की थी। इसी दौरान इस विधेयक को पेश किया गया था।

दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म और पोक्सो के मामलों में प्रभावी

जानकारी के अनुसार विधेयक में संशोधन के बाद यह प्रावधान होगा कि महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराध जैसे बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, यौन दुराचार के आरोपियों को अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी। पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज आरोपियों को भी अग्रिम जमानत नहीं दी जाएगी। संशोधन विधेयक दंड प्रक्रिया संहिता और पॉक्सो अधिनियम की धारा 438 में बदलाव करने के लिए है। अभी पढ़ें – भड़काऊ बयानबाजी का प्लेटफॉर्म बन गए हैं न्यूज चैनल: सुप्रीम कोर्ट

गवाहों को डरा या सबूत नहीं मिटा पाएंगे आरोपी

उत्तर प्रदेश सरकार ने संशोधन विधेयक का प्रस्ताव देते हुए कहा कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत यह कदम उठाया गया है। विधेयक में कहा गया है कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए यौन अपराधों में सबूतों का तत्काल इकट्ठा करने के लिए, सबूतों को नष्ट होने से बचाने, सबूतों को खत्म करने की संभावना को कम करने और पीड़ित या गवाहों में भय पैदा करने से रोकने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 438 में संशोधन करने का निर्णय लिया गया है। यह संशोधन आरोपी को गवाहों या पीड़िता को डराने और सबूतों को प्रभावित करने से रोकने में मील का पत्थर साबित हो सकता है। अभी पढ़ें - प्रदेश से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें Click Here - News 24 APP अभी download करें


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