कांवड़ यात्रा 'नेमप्लेट' विवाद पर यूपी के मंत्री ओपी राजभर ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बताया कि सरकार का मकसद है कि हर त्योहार शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो। इसलिए सरकार जो भी योजनाएं बना रही है, वो सभी जातियों और धर्मों के लिए हैं। अलग-अलग धर्मों में अलग-अलग व्यवस्थाएं हैं। इसलिए किसी विवाद से बचने के लिए ऐसा किया गया, लेकिन विपक्ष हमेशा सत्ता पक्ष के खिलाफ बोलता रहता है। यही उनका एकमात्र काम है।
कांवड़ यात्रा से पहले सियासत तेज
कांवड़ यात्रा से पहले ही यूपी में सियासत तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी सरकार ने कड़े नियम बनाए हैं। सबसे पहले तो खाने-पीने की शॉप पर मालिक का नाम होना जरूरी है। इसके साथ ही लाइसेंस औरआइडेंटिफिकेशन कार्ड जरूरी है। योगी सरकार ने बताया कि रेस्टोरेंट और ढाबा मालिकों के साथ ही मैनेजर का नेमप्लेट जरूरी है। इस नेमप्लेट के मुद्दे को लेकर अलग-अलग मुस्लिम नेताओं ने कड़ी आपत्ति भी जताई है।
नेम प्लेट विवाद पर कई नेताओं दी थी प्रतिक्रिया
नेम प्लेट विवाद को लेकर इमरान मसूद ने कहा कि पिछली बार भी ऐसा ही हुआ था, लेकिन इनकी सारी कोशिश बेकार हो गई। भारत मोहब्बत का देश है, नफरत का नहीं है। इस बार इनकी जोर आजमाइश को फेल कर देंगे। वहीं, मुरादाबाद से पूर्व सांसद एसटी हसन ने भी नेम प्लेट विवाद को लेकर कहा था कि सरकार अगर नेमप्लेट लगाने का ऑर्डर देती है, हमें इससे कोई परेशानी नहीं है। लेकिन अगर जनता इस काम को करेगी तो क्या हिंदू मुस्लिम के बीच अंतर नहीं बढ़ेगा।
वहीं, सपा नेता के मुताबिक, नाम बदल कर बिजनेस करना भी ठीक नहीं है। इस्लाम इसकी परमिशन नहीं देता है। ऐसे काम न करें जिससे लोगों में दूरियां बढ़ें। इसके अलावा हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मामले पर निशाना साधा है।
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