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7 मंजिलें, पर यहां भगवान की नहीं होगी पूजा; जानें 20 साल में बने Swarved Mahamandir की 7 खासियतें

Swarved Mahamandir Varanasi Inaugration: राम मंदिर से पहले देश को स्वर्वेद महामंदिर मिल गया है, जिसकी भव्यता और विशालता देखकर आप चौंक जाएंगे। जानिए इस मंदिर की खासियतें...

Swarved Mahamandir Varanasi
Swarved Mahamandir Varanasi Inaugration: अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन से पहले आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज काशी में स्वर्वेद महामंदिर (Swarved Mahamandir) का उद्घाटन किया। वे 2 दिवसीय यात्रा पर काशी आए हुए हैं और अपने प्रोग्राम के अनुसार, उन्होंने आज सुबह मंदिर का उद्घाटन किया। यह मंदिर वाराणसी के चौबेपुर थाना क्षेत्र के उमरहां गावं में है और अब दुनिया का सबसे बड़ा मेडिटेशन सेंटर बन गया है, क्योंकि इसमें अब करीब 20 हजार लोग एक साथ मेडिटेशन कर सकेंगे। इस 7 मंजिला धाम का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पुराना कनेक्शन है, जिसके चलते यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट रहा, जो आज पूरा हो गया। आइए इस धाम की खासियतें जानते हैं...  

PM मोदी से मंदिर का खास कनेक्शन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस महामंदिर से खास कनेक्शन है। दरअसल उनकी मां स्वर्गीय हीराबेन इन धाम से जुड़ी थीं। आखिरी सांस तक वे इससे जुड़ी रहीं। इसलिए PM मोदी का इस मंदिर से भावनात्मक जुड़ाव है। उन्होंने इस मंदिर को अपनी मां को समर्पित करते हुए इसकी इमारत का रेनोवेशन कराया और इसे देशवासियों को समर्पित किया। वहीं इस मंदिर में भगवान की कोई मूर्ति स्थापित नहीं होगी। ऐसे में इस मंदिर में किसी भगवान की पूजा नहीं होगी, लेकिन साधना की देवी यहां विराजमान होंगी, जिनकी मौजूदगी में साधकों को योग क्रियाएं सिखाई जाएंगी। यह भी देखें: आखिर क्या हुआ जो PM मोदी ने वाराणसी में बीच सड़क अचानक रुकवा दिया अपना काफिला, देखें वीडियो महामंदिर की खासियतें...
  • करीब 64 हजार वर्ग फीट एरिया में बने मंदिर को बनाने में 100 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
  • आध्यात्मिकता का प्रतीक स्वर्वेद महामंदिर आध्यात्मिक ग्रंथ स्वर्वेद को समर्पित है।
  • मंदिर की नींव सद्गुरु श्री सदाफल देवजी महाराज द्वारा रखी गई थी।
  • मंदिर कमल के आकार में बना है। इसके शीर्ष में 9 अष्टकमल और 7 मंजिलें हैं।
  • चारों ओर 101 फव्वारे लगे हैं। दुनिया का सबसे बड़ा मेडिटेशन सेंटर है।
  • 20 हजार लोग एक साथ बैठकर इसमें साधना और योग क्रियाएं कर सकेंगे।
  • गुजरात के उद्योगपति देवव्रत त्रिवेदी और चिराग भाई पटेल की मदद से मंदिर बनाया गया है।
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  • 2004 में मंदिर की नींव रखी गई थी और इसे बनाने में करीब 20 साल लगे।
  • 15 इंजीनियरों ने डिजाइन तैयार किया और 600 कारीगरों ने अपना योगदान दिया।
  • 5 मंजिलों की दीवारों पर स्वर्वेद के 4 हजार से ज्यादा दोहे अंकित हैं।
  • मंदिर की बाहरी दीवारों पर स्वर्वेद के कई प्रसंगों को उकेरा गया है।
  • पिंक सैंड स्टोन, मकराने का संगमरमर, राजस्थान के ग्रेनाइट का इस्तेमाल हुआ।
  • सागौन की लकड़ियों से मंदिर की खिड़कियां बनाई गई हैं।
  • मंदिर में बने बगीचे में कई तरह की औषधीय जड़ी-बूटियों वाले पौधे लगाए गए हैं।
 


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