Haldwani Violence Mastermind Abdul Malik Arrested : उत्तराखंड के हल्द्वानी जिले में 8 फरवरी को हुई हिंसा का मास्टरमाइंड पकड़ लिया गया है। बनभूलपुरा में दंगा कराने के बाद आरोपी दिल्ली आकर छिप गया था। उत्तराखंड पुलिस ने शनिवार को उसे राजधानी से गिरफ्तार कर लिया। आइए जानते हैं कि कौन है हल्द्वानी हिंसा का मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक।
हल्द्वानी के बनभूलपुरा में मलिक का बगीचा स्थित है, जहां नजूल की सरकारी जमीन पर मदरसा और मस्जिद बना है। अब्दुल मलिक पर अतिक्रमण करने का आरोप है। इस पर नगर निगम ने अवैध कब्जा हटाने का नोटिस चस्पा किया। जब प्रशासन की टीम अतिक्रमण हटाने के लिए पहुंची तो असामाजिक तत्वों ने हमला कर दिया। इस पर पूरे इलाके में हिंसा भड़क उठी। इस हिंसा को भड़काने में अब्दुल मलिक का हाथ पाया गया।
यह भी पढ़ें : क्या है नजूल भूमि? जिस पर हल्द्वानी में मच रहा बवालनगर निगम ने 2.44 करोड़ की रिकवरी का थमाया था नोटिस
हिंसा में सरकारी संपत्ति को 2.44 करोड़ रुपये नुकसान पहुंचा। इसके बाद नगर निगम ने मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक को नोटिस भेजा और 15 फरवरी तक नुकसान की राशि 2.44 करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा। इसके बाद से अब्दुल मलिक फरार चल रहा था। पुलिस ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की। PHQ प्रवक्ता आईजी नीलेश भरणे ने कहा कि उत्तराखंड पुलिस ने शनिवार को दिल्ली से हल्द्वानी हिंसा के मुख्य आरोपी और मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक को गिरफ्तार कर लिया।
कौन है अब्दुल मलिक
अब्दुल मलिक ने बनभूलपुरा में सरकारी जमीन पर कब्जा करके काफी धन कमाया था। वह लोकसभा चुनाव भी लड़ चुका है। साल 2004 में अब्दुल मलिक ने बसपा के टिकट पर फरीदाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन वह चुनाव हार गया था। बताया जाता है कि नामांकन के अंतिम दिन बसपा ने उसके नाम का ऐलान किया था। जब अब्दुल मलिक नामांकन दाखिल करने गया था तब उसके साथ 100 लोगों की टीम थी।
यह भी पढ़ें : Haldwani Violence: 5 लोगों की गई जान, हिरासत में 50 संदिग्ध; हल्द्वानी में अब कैसे हैं हालातनजूल जमीन पर अब्दुल मलिक का था अवैध कब्जा
बताया जाता है कि अब्दुल मलिक ने लोगों को बताया था कि उसने यह जमीन किसी से खरीदी है। इसके बाद वह लोगों को अवैध तरीके से जमीन बेचता था, लेकिन वह नजूल जमीन थी, जिस पर सरकार का अधिकार होता है। जिस विवादित ढांचे को लेकर हिंसा हुई थी, उस पर अब्दुल मलिक मालिकाना हक का दावा करता था। लेकिन, जब नगर निगम ने दस्तावेज जमा करने के लिए वक्त दिया था, तब कोई कोई दस्तावेज नहीं दिखा पाया।