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Bharat Ratna: चौधरी चरण स‍िंंह को जब देनी पड़ी पुल‍िस वालों को रिश्‍वत, भेष बदल पहुंचे थाने  

Choudhary Charan Singh Bharat Ratna Special Story: पूर्व प्रधानमंत्री और क‍िसानों के मसीहा माने जाने वाले चौधरी चरण स‍िंह को भारत रत्‍न की घोषणा करते हुए क‍ि पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा क‍ि उन्‍होंने क‍िसानों के अध‍िकारों के ल‍िए अपना जीवन समर्पित कर द‍िया था।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Feb 9, 2024 13:24
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Choudhary Charan Singh Kisan Diwas Special Story
Choudhary Charan Singh Kisan Diwas Special Story

Choudhary Charan Singh Bharat Ratna: किसानों के मसीहा और कोहिनूर माने जाने वाले चौधरी चरण सिंह को भारत रत्‍न देने की घोषणा की गई है। चौधरी चरण सिंह के जन्म दिन यानी 23 दिसंबर को किसान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को मेरठ के नूरपुर गांव में मीरसिंह चौधरी के घर में हुआ था। बचपन से पढ़ने लिखने में होशियार रहे चरण के पिता मीर सिंह चाहते थे कि वे पढ़ लिखकर जल्द से जल्द घर की जिम्मेदारी संभाले। मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

1923 में चरण सिंह ने मेरठ के साइंस काॅलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और कानून की पढ़ाई के लिए गाजियाबाद आ गए। उन दिनों आजादी के आंदोलन को लेकर युवाओं में चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह को लेकर जबरदस्त क्रेज था। 1929 में चरण सिंह भी आजादी के आंदोलन में कूद गए। इस दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा। इस बीच 1937 में वे यूपी की विधानसभा में पहली बार विधायक चुने गये। चरण सिंह 1951 से 1967 तक यूपी में कांग्रेस का बड़ा चेहरा रहे। इस दौरान वे सभी सरकारों में अहम पदों पर रहे। इसके बाद नेहरू से नाराज होने के कारण पार्टी छोड़ भारतीय क्रांति दल नामक पार्टी बनाई।

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ऐसा रहा राजनीतिक करियर

साल 1967 में वे यूपी के सीएम बने। इसके बाद 1967 में फिर सीएम बने। चरण सिंह 1979 में 5 महीने के लिए देश के पीएम बने। संसद में बहुमत साबित करने से पहले ही उनको इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस आई ने चरण सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद 1980 में हुए मध्यावधि चुनाव में इंदिरा गांधी फिर एक बार पीएम बनी।

कभी नहीं हारे चुनाव

पीएम, सीएम और केंद्रीय मंत्री के पदों पर रहते हुए उन्होंने किसानों के लिए अनेक कदम उठाए। उन्होंने केंद्र में रहते हुए किसानों ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना की। इसके अलावा खाद पर से सेल्स टैक्स हटाया। बिजली का 50 फीसदी हिस्सा गांवों को देना निश्चित किया। गांवों में पेयजल और सड़क निर्माण के कार्य करवाए गए। यूपी में जब पहली बार वे 1952 में मंत्री बने तो उन्होंने किसानों के लिए जमींदार उन्मूलन विधेयक पारित किया। इससे किसानों को उनकी जमीन का हक मिला।

Charan Singh | Charan Singh Archives

पढ़ें यह थाने का किस्सा

हर्ष सिंह लोहित द्वारा लिखी पुस्तक चौधरी चरण सिंह ब्रीफ लाइफ हिस्ट्री में उनके कई चर्चित किस्सों का विवरण दिया गया है। जिसमें से एक हैं इटावा में किसान बनकर पहुंचने का किस्सा। 1979 की बात है जब वे देश केे पीएम थे। वे एक किसान का वेश धर कर इटावा के ऊसरासर थाने पहुंचे। यहां सिपाही और अन्य स्टाफ काम निपटाकर घर जाने की तैयारी कर रहे थे। इस बीच चौधरी चरण सिंह फटे पुराने कपड़े पहन थाने पहुंचे। चरण सिंह को इस वेश में देख सिपाही पहचान नहीं पाए वे कौन हैं। उन्होंने स्टेशन में प्रवेश कर सिपाही से कहा 2 बैल चोरी हो गए है शिकायत लिखवानी है। इस पर सिपाही ने उनसे कल आने को कहा। जब चरण सिंह जाने लगे तो सिपाही आया और बताया कि दारोगा जी बुला रहे हैं।

इस पर चरण सिंह दारोगी जी के पास पहुंचे तो वे उनसे तरह-तरह के सवाल करने लगे। लेकिन दारोगा ने रिपोर्ट लिखे बिना ही डांटकर उन्हें भगा दिया। इसके बाद सिपाही फिर से भागकर उनके पास पहुंचा और बोला- बाबा कुछ खर्चा पानी मिल जाता तो शिकायत लिख ली जाएगी। इसके बाद 35 रुपये देकर शिकायत लिखने की सहमति बनी। इसके बाद बाबा ने जेब से 35 रुपये निकालकर मुंशी को दे दिये।

Charan Singh | Charan Singh Archives

सिपाही ने रपट लिखवाने के लिए मांगी रिश्वत

शिकायत लिखे जाने के बाद साइन की बारी आई तो मुंशी हंसते हुए बोला बाबा अंगुठा लगाओगे या साइन करोगे। इस पर चरण सिंह ने अपनी जेब से पेन निकाला और लिखा चौधरी चरण सिंह। इस पर वहां मौजूद दारोगा समेत पूरे स्टाफ के पैरो तले जमीन खिसक गई। उनके माथे पर पसीना आने लगा। लेकिन पीएम चौधरी चरण सिंह ने किसी को माफ नहीं किया और पूरे थाने काे सस्पेंड कर दिया।

Charan Singh | Charan Singh Archives

किसानों के लिए अपना पूरा जीवन खपा देने वाले चौधरी चरण सिंह का 29 मई 1987 को निधन हो गया। फिलहाल चौधरी साहब की विरासत उनके पोते जयंत चौधरी संभाल रहे हैं। उनकी पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोकतांत्रिक दल है। जिसकी स्थापना चरण सिंह के पुत्र अजीत चौधरी ने 1996 में जनता दल से अलग होकर की थी।

First published on: Dec 23, 2023 11:30 AM

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