के जे श्रीवत्सन, जयपुर: निवेशकों को आकर्षित करने के लिए ‘इन्वेस्ट राजस्थान-2022’ के आयोजन से पहले ही केंद्र और राज्य सरकार के बीच खींचातानी शुरू हो गयी है। राजस्थान की उद्योग मंत्री ने निवेशकों के प्रस्तावों को अटकाने का केंद्र पर आरोप लगाया है। मंत्री ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए कहा की भाजपा को राजस्थान की जनता ने 25 सांसद दिए हैं ऐसे में उनकी भावनाओं का ख्याल रखते हुए तत्काल प्रस्तावों को मंजूरी देनी चाहिए।
गौरतलब है की 7-8 अक्टूबर को इन्वेस्ट राजस्थान का आयोजन हो रहा है, जिसमें 10 लाख करोड़ रूपये से भी ज्यादा के निवेश के आने का गहलोत सरकार दावा कर रही है।
बता दें कि हर राज्य की तरह अपने यहाँ उद्योगिक विकास को रफ़्तार देने के लिए राजस्थान सरकार इस साल इन्वेस्ट राजस्थान का आयोजन कर रही है, लेकिन उद्योगिक कोरिडोर, PCPIR और निवेश से जुड़े कई प्रस्तावों को केंद्र सरकार द्वारा अटकाए रखने की चिंताएं भी उसके सामने बरक़रार है। राजस्थान की उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने खुलकर प्रस्तावों को अटकाने का केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा की कम्पनियां जब यहाँ आकर निवेश को तैयार हैं तो उनके मामलों को केंद्र पेंडिंग में क्यों रख रहा है। यहाँ तक की इन्हें क्लियर करने से जुड़ी बैठके भी बिना जायज कारणों के हर बार स्थगित हो रही है।
उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने कहा कि, ‘यहाँ पर कम्पनियां आकर निवेश को तैयार हैं लेकिन उनसे जुड़े प्रस्तावों को केंद्र लम्बे समय से पेंडिंग में रख रहा है। राजस्थान ने बीजेपी की केंद्र सरकार को 25 सांसद दिए हैं। ऐसे में पीएम मोदी यहाँ के लोगों की भावनाओं को धयान में रखते हुए राजस्थान की विभिन्न योजनाओं की राशि और दूसरी मंजूरी में देरी ना करें।
दरअसल राज्य सरकार उद्योगों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं कम समय में और एक ही छत के नीचे उपलब्ध करवाने की भी बात कह रही है, ताकि प्रदेश में उद्योगों के लिए बेहतर माहौल विकसित होकर यहाँ के लोगों रोजगार के ज्यादा अवसर मिल सकें। लेकिन मौजूदा हालात में सूरत वैसी नहीं दिख रही। समिट के तहत सरकार को अब तक कुल 8192 निवेश प्रस्ताव एमओयू और एलओआइ के तौर पर मिले हैं, लेकिन 4241 की क्रियान्विती अब भी केंद्र सरकार के साथ-साथ निवेशकों के द्वारा अटकी हुई हैं।
ये ऐसे मामले हैं, जिनमें कागज पर मंशा जताने के बाद निवेशक भूमि, भवन, प्लांट और मशीनरी के बारे में अभी जानकारी नहीं दे पाया है। कई औपचारिकताओं के लिए सरकार की ओर से किए जा रहे संवाद का भी उनकी ओर से जवाब नहीं मिल रहा। फिर भी सरकार का दावा है की निवेशकों को सिंगल विंडो के जरिये क्लियरेंस कम दाम पर गुणवत्तापूर्ण बिजली देने के साथ निवेशकों से यह भरोसा भी लिया जाएगा की वह राजस्थान के लोगों को नौकरी में थोड़ी प्राथमिकता दें।
आगे उद्योग मंत्री ने ये भी कहा कि, ‘हमारी कोशिश उद्योगिक इकाईयों के पास ही सौर ऊर्जा के बड़े प्लांट लगाने की भी होगी ताकि डिस्काम की तर्ज पर सस्ते में निर्बाद बिजली मिल सकें। यह भी सही है की हम गंभीरता दिखा रहे हैं लेकिन कई कम्पनियां खुद ही सुस्त है। उनसे लगातार संपर्क में हैं जहाँ तक राजस्थ्यानियों को रोजगार में प्राथमिकता की बात है, नियम तो नहीं बना है लेकिन सभी सुविधाएं देने के साथ नई कंपनियों से मांग कर रहे हैं की वे उन्हें प्राथमिकता दें।
जानकारी के लिए बता दें कि वैसे 6 साल पहले तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने भी इसी तरह का निवेशक सम्मेलन आयोजित किया था, लेकिन उस वक़्त किए दावों का 10 फीसदी भी जमीं पर नहीं उतर सका। ऐसे में समिट को महज एक महीने का वक़्त रहते अटके हुए इन निवेश प्रस्तावों को जमीन पर उतार पाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी। केंद्र और निवेशक के पास लंबित’ श्रेणी के ये प्रस्ताव इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं, क्योंकि समिट की आशानुरूप सफलता की आधी सी उम्मीद इन्हीं पर टिकी है।