राजस्थान में विधानसभा चुनाव को अब भी एक साल से अधिक का वक़्त बाकी है, लेकिन साल 2023 के विधानसभा चुनावों में 200 में से 180 सीटें और उसके अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में 25 में से 25 सीटें जितने के लक्ष्य को लेकर बीजेपी ने अभी से रोडमैप बनाना शुरू कर दिया है। जयपुर में बीजेपी की कार्यसमिति की बैठक हुई। जिसमें प्रभारी अरुण सिंह प्रदेश के सामने सूबे की कांग्रेस सरकार में चल रही खींचतान और 19 अक्टूबर को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नतीजा क्लीयर होने के बाद पैदा होने वाली तमाम स्थितियों को लेकर बीजेपी की रणनीति पर लम्बी चर्चा हुई।
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पुनिया ने कहा इस तरह की बैठक से समीक्षा लगातार होती रहती है। राजनीति पर भी हमें कई बातें करनी है। उन्होंने कहा मिशन 2023 और 24 का बड़ा लक्ष्य भी है। इस पर राजनीति को लेकर रणनीति तय हुई। उधर इन 4 सालों में अलग- अलग कारणों से पार्टी छोड़कर गए कद्दावर नेताओं की घर वापसी को लेकर भी पार्टी ने विचार विमर्श शुरू कर दिया है। हालांकि प्रभारी अरुण सिंह ने साफ़ कर दिया की पार्टी प्रदेशाध्यक्ष की सहमति के बिना किसी की एंट्री संभव नहीं है।
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इसमें वसुंधरा राजे समर्थक पूर्व मंत्री और 7 बार के विधायक देवी सिंह भाटी भी शामिल है जिन्होंने की प्रदेश बीजेपी पदाधिकारियों से किसी तरह की बातचीत या सहमति के बिना खुद ही 8 अक्टूबर को बीजेपी जॉइन करने की घोषणा करके प्रदेश बीजेपी को सकते में ला दिया। कहा जा रहा है की केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को पिछले लोकसभा चुनाव में फिर से टिकेट दिए जाने से नाराज होकर पार्टी छोड़ने वाले देवी सिंह भाटी के बीजेपी में जॉइनिंग से प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और संगठन पदाधिकारी असहज हो सकते हैं, यही कारन है की इसे पार्टी में आने से पहले ही उनके अनुशासनहीनता के तौर पर देखा गया।
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जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद रहे सुभाष महरिया, पूर्व मंत्री राजकुमार रिणवा, पूर्व मंत्री सुरेन्द्र गोयल और पूर्व विधायक विजय बंसल के अलावा भी 4-5 पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, पूर्व पार्टी पदाधिकारियों के साथ कई कांग्रेस नेता भी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में एंट्री की कतार में खड़े हैं। इन सभी को उम्मीद है की जिस तरह पहले पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी को बीजेपी ने घर वापसी करवा कर राज्यसभा पहुंचा दिया है, कुछ वैसा ही सम्मानजनक मौका उन्हें भी मिलेगा. लेकिन इनकी घर वापसी को लेकर अभी प्रदेशाध्यक्ष और बाकी नेताओं के बीच सहमती नहीं बन पाई है.
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