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Chhattisgarh News: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की ट्रेनों की सफाई में छत्तीसगढ़ का अहम रोल, मिनटों में कोच साफ

Chhattisgarh News: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की ट्रेनों को साफ, स्वच्छ और संक्रमणममुक्त रखने में छत्तीसगढ़ के दुर्ग और बिलासपुर का बहुत बड़ा योगदान हैं। दरअसल, दुर्ग और बिलासपुर में ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट की शुरुआत हो गई है। इस प्लांट में ट्रेन कोच की धुलाई मिनटों में जा सकेंगी। ट्रेन की परंपरागत धुलाई से […]

Chhattisgarh News: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की ट्रेनों को साफ, स्वच्छ और संक्रमणममुक्त रखने में छत्तीसगढ़ के दुर्ग और बिलासपुर का बहुत बड़ा योगदान हैं। दरअसल, दुर्ग और बिलासपुर में ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट की शुरुआत हो गई है। इस प्लांट में ट्रेन कोच की धुलाई मिनटों में जा सकेंगी।

ट्रेन की परंपरागत धुलाई से छुटकारा

राज्य के दुर्ग और बिलासपुर में स्थापित इस ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट की शुरुआत से दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की ट्रेनों को परंपरागत धुलाई से छुटकारा मिल जाएगा। जहां पहले दर्जनों लोग एक ट्रेन को साफ करने में घंटों लगाते थे। वहीं इस प्लांट में ये काम मिनटों में निपट जाएगा।

प्लांट में कोच धुलाई की प्रक्रिया

प्लांट में ट्रेन कोच की धुलाई का प्रक्रियां बहुत ही सरल है। इसे ऑपरेट करने के लिए इंसानों की ज्यादा जरूरत पड़ती है। प्लांट में ट्रेन के आते ही सेंस की मदद से उस पर एक कैमिकल का छिड़काव होता है, फिर बड़े-बड़े ब्रश ऑटोमेटिक ट्रेन के कोच का साफ करने लगते है। जिसके बाद पानी को हाईप्रेशर के साथ कोच पर डाला जाता है। इन प्लांट में एक कोच की सफाई 8-9 मिनट में हो जाती है। यह भी पढ़ें: Rajasthan News: तेजी से बढ़ रहा प्रदेश का कृषि उद्योग, गहलोत सरकार दे रही इतने करोड़ का अनुदान

पानी की बचत

पहले ट्रेन के एक कोच की धलाई में कम से कम 1,500 लीटर पानी खर्च होता था। वहीं इस ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट में एक कोच की सफाई में सिर्फ 300 पानी दी लगता है। जो परंपरागत धुलाई में लगने वाली पानी का 5वां भाग है। इस 300 लीटर पानी मे भी 80 फीसदी पानी रीसाइकिल्ड होता है, जिसे धुलाई में दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। रिपोर्ट की माने तो इस प्लांट से सालाना 1.28 करोड़ लीटर पानी बचत कर सकता है।


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