Punjab News: पंजाब सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक और बड़ा कदम उठाया है। भगवंत मान सरकार ने नायब तहसीलदार वरिंदरपाल सिंह धूत को बर्खास्त कर दिया है। धूत के खिलाफ गैरकानूनी रूप से 10365 कनाल 19 मरला शामलात जमीन का म्यूटेशन पास करने का आरोप था। जांच अधिकारी रिटायर्ड जज बीआर बंसल ने सभी आरोपों को सही पाया। जांच अधिकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट और सरकार के आदेशों की अवहेलना कर निजी व्यक्तियों को फायदा पहुंचाया गया। अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) अनुराग वर्मा ने 24 फरवरी 2025 को धूत की बर्खास्तगी के आदेश जारी किए हैं।
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पंजाब सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रही है। खरड़ के गांव सिऊंक में शामलात जमीन का अवैध रूप से निजी व्यक्तियों के पक्ष में इंतकाल (मालिकाना हस्तांतरण) किया गया था। मामला सामने आने पर सरकार ने जांच के आदेश जारी किए थे। जांच में धूत को पंजाब विलेज कॉमन लैंड्स एक्ट 1961 के उल्लंघन का दोषी पाया गया। जांच में पता चला कि नायब तहसीलदार धूत ने एसएएस नगर के गांव माजरी में अपनी नियुक्ति के दौरान 28 सितंबर 2016 को इंतकाल नंबर 1767 को मंजूरी दी थी। इसके तहत 10365 कनाल और 19 मरले शामलात जमीन का मालिकाना हक निजी लोगों को सौंपा गया था।
जांच के दौरान पता लगा कि सुप्रीम कोर्ट के 2011 के जगपाल सिंह बनाम पंजाब राज्य मामले में सुनाए गए फैसले का उल्लंघन किया गया था। इस फैसले में शामलात जमीनों को निजी पक्षों को स्थानांतरित करने पर रोक लगाई गई थी। जांच में पता लगा कि धूत ने न केवल अवैध तौर पर इंतकाल किया, बल्कि कब्जाधारकों के हिस्सों को बिना सत्यापित किए बड़े घोटाले को अंजाम दिया। ऐसे लोगों को भी शेयरधारक बनाया गया, जिनका जमीन को लेकर कोई वैध दावा नहीं था।
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धूत की इन गतिविधियों के सामने आने के बाद एफसीआर अनुराग वर्मा ने अपने आदेशों में लिखा है कि ऐसी गतिविधियों के खिलाफ सरकार ने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई हुई है। इसलिए उपलब्ध तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए वे नायब तहसीलदार (निलंबित) वरिंदरपाल सिंह धूत को पंजाब सिविल सेवाएं (सजा एवं अपील) नियम 1970 के उपनियम 5 के तहत सरकारी सेवा से बर्खास्त करने के आदेश देते हैं।