Pune Porsche Hit And Run Case: महाराष्ट्र के बहुचर्चित पुणे पोर्श हिट एंड रन में एक बड़ा अपडेट सामने आया है। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) ने मंगलवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें इस मामले के नाबालिग आरोपी पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाने की अपील की गई थी। बोर्ड ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि टीनेजर आरोपी पर वयस्क की तरह मुकदमा नहीं चल सकता। चलिए जानते हैं कि अगर आरोपी पर वयस्क की तरह मुकदमा नहीं चलता है तो इससे उसे किस तरह का कानूनी फायदा मिलेगा। साथ ही यह भी जानेंगे कि अगर आरोपी पर वयस्क की तरह मुकदमा चलता तो उसके लिए सजा का क्या प्रावधान है।
क्या कहता है नियम?
नियम के अनुसार अगर 16 से लेकर 18 साल तक का किशोर हत्या, रेप और हिट एंड रन जैसे कोई गंभीर अपराध करता है तो जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) ही तय करता है कि नाबालिग आरोपी पर किशोर की तरह मुकदमा चलेगा। बोर्ड आरोपी की मानसिक स्थिति और मेच्योरिटी के आधार पर तय करता है कि आरोपी पर व्यस्क की तरह मुकदमा चलेगा या नहीं।
किशोर आरोपी को मिलने वाली कानूनी राहत
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने अगर तय कर दिया कि आरोपी पर वयस्क की तरह मुकदमा नहीं चलेगा, ऐसे में आरोपी को नाबालिग मानकर ही कार्रवाई की जाएगी। वहीं, मामले की जांच के दौरान अगर किशोर आरोपी को दोषी पाया जाता है तो उसकी सुधार गृह में 3 साल तक की निगरानी होगी। उसे जेल नहीं जाना पड़ेगा और न ही उस पर कोई आर्थिक दंड लगाया जाएगा। उसकी पहचान गुप्त रहती है।
वयस्क को क्या मिलती सजा?
वहीं, अगर कोई व्यस्क शराब पीकर गाड़ी चलाता है और हिट एंड रन जैसी घटना को अंजाम देता है, और अगर इस घटना में किसी जान चली जाती है, तो उसके खिलाफ IPC 304 के तहत 10 साल तक जेल या आजीवन और 304A के तहत 2 साल तक जेल की सजा का प्रवधान है।