महाराष्ट्र में यह तो तय हो गया कि विधानसभा का शीतकालीन सत्र राज्य की उपराजधानी नागपुर में 8 दिसंबर से शुरू होगा और 14 दिसंबर तक चलेगा। लेकिन नेता प्रतिपक्ष कब तक तय होगा? यह अभी तक सस्पेंस बना हुआ है। कमाल की बात है कि एक हफ्ते तक चलने वाले इस सत्र में वीकेंड यानी शनिवार और रविवार को भी कामकाज होगा। इस बार के सत्र में विधानसभा और विधान परिषद में विपक्ष का नेता मिलेगा या नहीं, इस पर सवाल बना हुआ है। दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली है। विधानसभा में तो नेता प्रतिपक्ष का पद एक साल से खाली है।
विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष के लिए शिवसेना (यूबीटी) और विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष के लिए कांग्रेस अपना दावा पेश कर चुकी है। विपक्ष में तीन प्रमुख दल हैं, एनसीपी (शरद), शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस। इन तीनों में विधानसभा में शिवसेना (यूबीटी) के विधायक सबसे ज्यादा हैं, इसलिए उद्धव ठाकरे समेत उनकी पार्टी ने वरिष्ठ विधायक भास्कर जाधव का नाम तय कर विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भी भेजा है। इतना ही नहीं, स्वयं उद्धव और आदित्य भी इस मुद्दे पर उपमुख्यमंत्री फडणवीस से मिले, लेकिन अब तक इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है।
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एक साल से नहीं मिल पाया नेता प्रतिपक्ष
एक साल से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली है। हर विधानसभा सत्र में शिवसेना (यूबीटी) यह मुद्दा उठाती रही है, लेकिन सत्ता पक्ष भाजपा इसे टालती आई है। खुद मुख्यमंत्री ने भी इस मुद्दे पर सदन में कहा है कि इस विषय पर फैसला विधानसभा अध्यक्ष लेंगे।हालांकि, इस पद के लिए विधानसभा सदस्यों की संख्या को लेकर कोई नियम नहीं है। ऐसे में सरकार फैसला क्यों नहीं ले रही यह सवाल सभी के जेहन में है।
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विधान परिषद में भी नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली
महाराष्ट्र विधान परिषद को ‘उच्च सदन’ होता है यहां कांग्रेस का संख्याबल शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद) से ज्यादा है। कांग्रेस ने दोनों दलों से चर्चा कर विधान परिषद सदस्य सतेज (बंटी) पाटील का नाम नेता प्रतिपक्ष पद के लिए भेजा है, लेकिन अब तक उस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है।ऐसे में सवाल उठ रहा है कि विधानसभा और परिषद के सत्र पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है, तो जनता से जुड़े मुद्दे उठाने के लिए नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली रखना क्या अच्छे लोकतंत्र की निशानी है?
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