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Maharashtra Politics: शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता मामले पर क्या फैसला आया, शिंदे CM रहेंगे?

Shiv Sena MLAs' disqualification case: महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर अपना फैसला सुना दिया है। इस फैसले को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

Shiv Sena MLAs' disqualification case में आया फैसला, Uddhav Thackrey या Eknath Shinde, किसे मिली राहत?
Shiv Sena MLAs' disqualification case: महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता से जुड़े मामले पर अपना फैसला सुना दिया है। इस फैसले से उद्धव ठाकरे को तगड़ा झटका लगा है। स्पीकर ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 2018 में नेतृत्व संरचना शिवसेना के संविधान के अनुसार नहीं थी। पार्टी संविधान के मुताबिक, शिवसेना पार्टी प्रमुख किसी को भी पार्टी से नहीं निकाल सकते। इसलिए जून 2022 में उद्धव ठाकरे द्वारा एकनाथ शिंदे को हटाना शिवसेना के संविधान के आधार पर स्वीकार नहीं है। उन्होंने कहा कि 21 जून 2022 को जब प्रतिद्वंद्वी गुट उभरे तो शिंदे गुट ही असली शिवसेना थी।" इससे पहले, मामले की सुनवाई करते हुए स्पीकर ने कहा कि दोनों पार्टियों (शिवसेना के दो गुटों) द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए संविधान पर कोई सहमति नहीं है। नेतृत्व संरचना पर दोनों दलों के अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। एकमात्र पहलू विधायक दल का बहुमत है। इसलिए मुझे विवाद से पहले मौजूद नेतृत्व संरचना को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक संविधान तय करना होगा। '1999 के संविधान पर भरोसा' स्पीकर ने कहा कि शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता, क्योंकि यह भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, मैं किसी अन्य कारक पर नहीं जा सकता. जिसके आधार पर संविधान मान्य है। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार, मैं वैध संविधान के रूप में शिव सेना के 1999 के संविधान पर भरोसा कर रहा हूं। । 'चुनाव आयोग द्वारा प्रदान किया गया शिवसेना का संविधान ही प्रासंगिक' राहुल नार्वेकर ने कहा कि कौन सा गुट वास्तविक राजनीतिक दल है, इसके निर्धारण के लिए चुनाव आयोग द्वारा प्रदान किया गया शिवसेना का संविधान ही प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि मेरे सामने मौजूद साक्ष्यों और रिकॉर्डों को देखते हुए, प्रथम दृष्टया संकेत मिलता है कि वर्ष 2013 के साथ-साथ वर्ष 2018 में भी कोई चुनाव नहीं हुआ था। हालांकि, 10वीं अनुसूची के तहत क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने वाले वक्ता के रूप में मेरा क्षेत्राधिकार सीमित है और मैं वेबसाइट पर उपलब्ध चुनाव आयोग के रिकॉर्ड से आगे नहीं जा सकता और इसलिए मैंने प्रासंगिक नेतृत्व संरचना का निर्धारण करते समय इस पहलू पर विचार नहीं किया है। नार्वेकर ने कहा कि इस प्रकार उपरोक्त निष्कर्षों को देखते हुए, मुझे लगता है कि ईसीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध 27 फरवरी 2018 के पत्र में प्रतिबिंबित शिवसेना की नेतृत्व संरचना प्रासंगिक नेतृत्व संरचना है जिसे यह निर्धारित करने के उद्देश्य से ध्यान में रखा जाना चाहिए कि कौन सा गुट है असली राजनीतिक दल है। बता दें कि इस फैसले को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष के एंटी चैंबर में वरिष्ठ अधिकारी और वकील मौजूद हैं।  शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला चाहे जो भी हो, सरकार पर असर पड़ने की संभावना नहीं है। हालांकि, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की कुर्सी जा सकती है। शिंदे गुट के कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल स्पीकर नार्वेकर के फैसले के बाद शिंदे गुट के कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल है। उन्होंने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर अपनी खुशी का इजहार किया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने नारे भी लगाए। शिंदे-ठाकरे ने क्या कहा? स्पीकर का फैसला आने से पहले मुंबई में मीडिया से बातचीत करते हुए एकनाथ शिंदे ने कहा कि चुनाव आयोग ने उनके गुट को शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह आवंटित किया है। हम ही आधिकारिक रूप से शिवसेना हैं। हमारे पास विधानसभा में बहुमत है। वहीं, शिवसेना (यूबीटी) विधायक आदित्य ठाकरे ने स्पीकर नार्वेकर से सीएम शिंदे की मुलाकात पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि स्पीकर फैसले से पहले मुख्यमंत्री से मिल रहे हैं। इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। मुझे लगता है कि आज का फैसला किसी एक पार्टी से ज्यादा देश के लिए महत्वपूर्ण होगा। लोगों को पता चल जाएगा कि स्पीकर लोकतंत्र का पालन कर रहे है या नहीं। बता दें कि 20 जून 2022 को शिंदे और उनके गुट के 39 विधायकों ने शिवसेना से बगावत कर भाजपा के साथ गठबंधन कर ली, जिसके बाद उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था और शिंदे मुख्यमंत्री बने। वहीं, देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाया गया। इस पर उद्धव गुट ने दल-बदल कानून के स्पीकर को नोटिस दिया। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा। यह भी पढ़ें: कौन है MLA Ravindra Waikar, 500 करोड़ रुपये के घोटाले में नाम; अब ED ने ठिकानों पर की छापेमारी MTHL: भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल तैयार, अटल सेतु में क्या होगा खास?


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