World Economic Forum 2025: वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम 2025, दावोस में भारत की जल क्रांति और उसके स्थायी जल प्रबंधन के जरिए विश्व को लाभ पहुंचाने की क्षमता पर एक प्रमुख चर्चा हुई। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल ने की।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी चर्चा का हिस्सा बने हैं। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में भाग लेने वाले सीआर पाटिल भारत के पहले जल शक्ति मंत्री बन गए हैं। इस चर्चा में 300 से ज्यादा गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। चर्चा में भाग लेने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट कर कहा कि हम जल का निर्माण नहीं कर सकते हैं, लेकिन जल का संरक्षण जरूर कर सकते हैं।
आपको बता दें, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम 2025, दावोस में भारत की जल क्रांति और उसके स्थायी जल प्रबंधन प्रथाओं के जरिए विश्व को लाभ पहुंचाने की क्षमता पर एक प्रमुख चर्चा हुई। भारत के जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने और जल-सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने के लिए एक परिवर्तनकारी चर्चा की अध्यक्षता की है।
पीएम मोदी मुद्दे को लेकर गंभीर- सीआर पाटिल
जल सुरक्षा के मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पीएम मोदी इस मुद्दे को लेकर बेहद गंभीर हैं। वास्तव में, जल संरक्षण, सुरक्षा और सभी को जल उपलब्ध कराना उनकी प्राथमिकता है। हमें समझना चाहिए कि एक समय ऐसा था जब गुजरात के कई क्षेत्र गंभीर जल संकट से जूझ रहे थे, लेकिन उनके द्वारा अपनाए गए लगातार उपायों ने सभी क्षेत्रों में जल सुरक्षा और स्थिरता लाई।
यही नीति राष्ट्रीय स्तर पर भी लागू की गई। प्रधानमंत्री मोदी ने सुनिश्चित किया कि हर एक जिले में 75 अमृत सरोवर हों। इस तरह 60 हजार से अधिक तालाबों का संरक्षण या निर्माण किया गया। इससे जल संसाधन प्रबंधन के प्रयासों को बहुत मदद मिली।
20,000 गांव बने सूखा मुक्त
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हम जल का निर्माण नहीं कर सकते हैं, लेकिन जल का संरक्षण जरूर कर सकते हैं। फडणवीस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आह्वान किया और हम जल निकायों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए रिवर सिटीज अलायंस जैसी पहलों के जरिए काम कर रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ने के कारण जल संरक्षण की जरूरत पहले से कहीं अधिक है। ‘जलयुक्त शिवार’ पहल, जिसने 20,000 गांवों को लगभग सूखा-मुक्त बनाने में मदद की है। नवाचार और सामुदायिक भागीदारी के साथ, हम महाराष्ट्र के जल संरक्षण प्रयासों को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं।
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