…और जब अचानक फैल गई कमलनाथ के इस्तीफे की खबर; जानें क्या है पूरी हकीकत
कमलनाथ के करीबी ने 'हाथ' छोड़ थामा 'कमल'
भोपाल: देश के पांच में से तीन राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद अब कांग्रेस खेमे में खासा परेशानी का माहौल देखने को मिल रहा है। इसी बीच गुरुवार को मध्य प्रदेश के प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस्तीफे की अफवाह फैली। हालांकि बाद में कमलनाथ के राजनैतिक सलाहकार पीयूष बबेले ने इस बात को सिरे से नकार दिया। दरअसल, यह घटनाक्रम मंगलवार को दिल्ली में कांग्रेस पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात के बाद चर्चा में है।
MP में 230 में से 163 सीट जीती है भाजपा
ध्यान रहे, मध्य प्रदेश समेत देश के पांच राज्यों में नवंबर में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हुआ था। इनमें से मध्य प्रदेश की 230 सीटों पर विभिन्न राजनैतिक पार्टियों की तरफ से और निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे 2533 उम्मीदवारों के लिए 17 नवंबर को मतदान हुआ था। 3 दिसंबर को मतगणना के बाद राज्य की 230 में से 163 पर भाजपा तो 66 पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को जीत मिली है। अब मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व में मंथन का दौर जारी है, जिसके चलते मंगलवार को दिल्ली में पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य वरिष्ठ नेताओं के बीच हार के कारण पर चर्चा हुई। इस बैठक में मध्य प्रदेश के प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कमलनाथ भी मौजूद थे। गुरुवार शाम को खबर आई कि कमलनाथ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन यह अफवाह ही निकली।
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दो दिन पहले दिल्ली में हुई थी मीटिंग
दूसरी ओर जहां तक इस माहौल की वजह की बात है, इस बारे में न्यूज एजेंसी एएनआई के हवाले से राजनैतिक जानकारों का तर्क है कि दिल्ली बैठक के दौरान कमलनाथ को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है, वहीं कांग्रेस नेतृत्व प्रदेश में सीटों के बंटवारे को लेकर समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के प्रमुख नीतीश कुमार समेत भाजपा विरोधी गठबंधन (I.N.D.I.A.) के दूसरे नेताओं के खिलाफ कमल नाथ की टिप्पणियों से भी नाराज था।
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हार के बाद कही थी यह बात
इसी के साथ यह बात भी उल्लेखनीय है कि चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद कमल नाथ ने पार्टी सदस्यों से नतीजों से निराश न होने को कहा था। उन्होंने इसकी बजाय कुछ ही महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए फिर से संगठित होने की राय दी थी। पार्टी कार्यकर्ताओं के उत्साह को बढ़ाने के प्रयास में कमलनाथ ने आपातकाल के बाद 1977 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के महत्वपूर्ण झटके को याद किया। उन्होंने कहा था, 'हम यह (विधानसभा) चुनाव हार गए हैं, लेकिन मुझे याद है कि 1977 में भी हम (लोकसभा चुनाव) इससे भी बुरी तरह हारे थे। उस समय, इंदिरा गांधी और संजय गांधी जैसे हमारे शीर्ष नेता भी हार गए थे'। ऐसा लग रहा था कि पूरा माहौल कांग्रेस के खिलाफ है, लेकिन हम एकजुट हुए और चुनाव मैदान में उतरे। तीन साल बाद चुनाव हुए और पार्टी ने 300 से अधिक सीटें जीतीं और इंदिरा गांधी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई'।
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