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ग्वालियर-चंबल में सामाजिक समीकरण साधने में जुटी BJP, ‘मिशन-2023’ यह वर्ग निभाएगा खास भूमिका

Gwalior Chambal Politics: मध्य प्रदेश की सियासत में पहले जातीय फेक्टर अहम रोल नहीं निभाता था, लेकिन अब चुनावी रणनीति बदल चुकी है और सत्ता को हासिल करने के लिए सभी राजनीतिक दल जातिगत फेक्टर के जरिए जमीन तलाशते हुए नजर आ रहे हैं। बीजेपी एक ऐसे वर्ग पर खास निगाह बनाए हुए हैं, जिसको […]

Edited By : Arpit Pandey | Updated: Jul 14, 2023 18:45
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gwalior chambal politics
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Gwalior Chambal Politics: मध्य प्रदेश की सियासत में पहले जातीय फेक्टर अहम रोल नहीं निभाता था, लेकिन अब चुनावी रणनीति बदल चुकी है और सत्ता को हासिल करने के लिए सभी राजनीतिक दल जातिगत फेक्टर के जरिए जमीन तलाशते हुए नजर आ रहे हैं। बीजेपी एक ऐसे वर्ग पर खास निगाह बनाए हुए हैं, जिसको लेकर कहा जाता है कि उस वर्ग की नाराजगी और बीजेपी से बनाई दूरी 2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिली शिकस्त का मुख्य कारण बनी थी।

ब्राह्मण वर्ग को साधने में जुटी बीजेपी

मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी इन दिनों सभी वर्गों के बीच पहुंच रही है, खासकर उन समाजों के बीच जिनका एक बड़ा वोट बैंक प्रदेश में है। लेकिन बीजेपी की सबसे ज्यादा नजर प्रदेश के 50 लाख से ज्यादा आबादी वाले ब्राह्मण वोटर्स पर है। यही वजह है कि पहले जहां सीएम शिवराज सिंह चौहान बड़ा ऐलान करते हुए प्रदेश में पुजारियों का मानदेय बढ़ाने के साथ ही भगवान परशुराम की जीवनी को स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल कराने के साथ संस्कृत विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप जैसे बड़े ऐलान कर चुके हैं।

सिंधिया-मिश्रा साध रहे समीकरण

इतना ही नहीं बीजेपी के दिग्गज नेता ब्राह्मण समाज के कार्यक्रमों में शामिल होकर उनसे सीधे पारिवारिक संबंध और खून का रिश्ता बताकर जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं, साथ ही बीजेपी ने ब्राह्मण समाज के नेताओं को प्राथमिकता दी है इसके उदाहरण भी दिए जा रहे है। ग्वालियर में सर्व ब्राह्मण सभा के कार्यक्रम में बीजेपी के दिग्गज नेता केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा शामिल हुए। सिंधिया ने ब्राह्मण समाज और सिंधिया परिवार का खून का रिश्ता बताया। जिससे इस वर्ग की अहमियत को समझा जा सकता है।

ग्वालियर-चंबल में बड़ा वोटबैंक

बीजेपी के दिग्गज नेताओं की ब्राह्मण समाज के बीच पहुंचने के पीछे मुख्य वजह यह है कि ग्वालियर चंबल अंचल में ब्राह्मणों की आबादी 8 लाख के लगभग है, जो सीधे तौर पर अंचल की 34 में से 17 से ज्यादा सीटों पर हार जीत के बीच अहम रोल अदा करता है। वहीं यदि प्रदेश की तस्वीर को देखें तो विंध्य, महाकौशल, चंबल और मध्य क्षेत्र की 60 सीटें ऐसी हैं जहां ब्राह्मण वोटर सीधा असर डालते हैं। खुद बीजेपी में बड़ा ब्राह्मण चेहरा के रूप में पहचान रखने वाले पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा भी मानते हैं कि ब्राह्मण समाज के मन में आज बहुत कसक है, ब्राह्मण समाज एकजुट है वह खुद के साथ ही सबके लिए चाहता है। भगवान परशुराम के लोक की स्थापना हो हर ब्राह्मण के मन में आज इसकी कसक है।

कांग्रेस ने साधा निशाना

बीजेपी ब्राह्मण वोटर्स को रिझाने के लिए किए जा रहे प्रयासों खासकर उनके सम्मेलनों मैं शामिल होने को लेकर एआईसीसी के राष्ट्रीय सचिव और प्रदेश के सह प्रभारी शिव भाटिया का कहना है कि आज भारतीय जनता पार्टी की बहुत बुरी स्थिति है, यही वजह है कि उन्हें सम्मेलन आयोजित कर समाजों के बीच जाना पड़ रहा है। लेकिन ब्राह्मण समाज बुद्धिमान है और उसे पता है कि भारतीय जनता पार्टी ने हमेशा ब्राह्मण समाज के साथ छल किया है लिहाजा 2023 के विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण मतदाता कांग्रेस पार्टी के साथ खड़े नजर आएंगे।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में ब्राह्मण आबादी को रिझाने के लिए हो रही सियासत के पीछे की बाजीगरी को भी समझना बहुत महत्वपूर्ण है। मध्यप्रदेश में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश की आबादी का 10% हिस्सा रखने वाले ब्राह्मण वोटर्स का बिखराव हुआ था, उस दौरान सीएम शिवराज द्वारा आरक्षण को लेकर दिए बयानों और एससी एसटी एक्ट में हुए संशोधनों के बाद बने हालातों ने बीजेपी का सियासी समीकरण बिगाड़ दिया था, जिसका सीधा नुकसान भारतीय जनता पार्टी को हुआ और कांग्रेस को फायदा मिलने के साथ सत्ता हासिल हुई थी।

यही वजह है कि बीजेपी कोई भी कसर इस वर्ग को रिझाने और उनसे जुड़ने को लेकर नहीं छोड़ना चाहती है। ऐसे में देखना होगा कि मध्य प्रदेश की सियासत में ब्राह्मण वोटर्स की राजनीति में बाजीगरी के इस खेल में कौन जीतता है।

ग्वालियर से कर्ण मिश्रा की रिपोर्ट

First published on: Jul 14, 2023 06:45 PM

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