Himachal Pradesh Latest News: उत्तर प्रदेश की तरह अब हिमाचल प्रदेश में भी खाने-पीने की दुकानों के आगे मालिकों को अपना नाम लिखना होगा। अपनी पहचान बतानी होगी। बुधवार को हिमाचल सरकार ने आदेश जारी किए हैं। कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बताया कि लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो। इसलिए सरकार ने खाने-पीने की दुकानों के मालिकों की पहचान सार्वजनिक करने के आदेश जारी किए हैं। फास्ट फूड की दुकानों के मालिकों को भी अपना पहचान पत्र दिखाना होगा।
इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने रेहड़ी-फड़ी वालों को पहचान के लिए नाम और आईडी लगाने के आदेश जारी किए थे। अब हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) सरकार ने यह फैसला लिया है। शहरी विकास और नगर निगम विभाग की बैठक हुई थी, जिसमें मंगलवार को फैसला लिया गया। वहीं, हिमाचल प्रदेश सरकार ने बाजारों के लिए पॉलिसी निर्माण को लेकर भी एक कमेटी गठित की थी। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर मंत्री हर्षवर्धन चौहान के नाम की घोषणा की थी।
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इस कमेटी को स्ट्रीट वेंडर्स के लिए नीति विकसित करने का जिम्मा सौंपा गया था। 5 दिन पहले कमेटी में 7 सदस्य शामिल किए गए थे। सदन ने 10 सितंबर को ‘स्ट्रीट वेंडर्स पॉलिसी’ बनाने का निर्णय लिया था। शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बताया कि ग्राहकों को स्वच्छ भोजन मिले, इसलिए सभी स्ट्रीट वेंडर्स, विशेष रूप से खाद्य पदार्थ बेचने वालों को अपना नाम और पहचान पत्र लगाना अनिवार्य होगा।
#WATCH | Shimla: Himachal Pradesh Minister Vikramaditya Singh, “We did a meeting with the UD (Urban Development) and the Municipal Corporation. To make sure that hygienic food is sold, a decision has been taken for all the street vendors…especially those selling edible items…… pic.twitter.com/7wi5bhapr8
— ANI (@ANI) September 25, 2024
लोकल वेंडर्स को अनुमति देने की मांग
विक्रमादित्य सिंह ने अनुसार यूपी की तरह नीति लागू करने का विकल्प उन्होंने चुना है। प्रवासी श्रमिकों के अनिवार्य पंजीकरण की बढ़ती मांगों के बाद कुछ मामले सामने आए थे। राज्य में अनाधिकृत मस्जिदों पर विवाद के बाद जनता की मांग थी कि लोकल वेंडर्स को ही खाने-पीने का सामान बेचने की परमिशन दी जाए। गौरतलब है कि पिछले सप्ताह शिमला के संजौली क्षेत्र में एक मस्जिद के हिस्से को ढहाने की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन हुआ था। इस दौरान 10 लोग घायल हुए थे। जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने बाहर से आने वाले प्रवासी श्रमिकों की पहचान और रजिस्ट्रेशन की मांग की थी।
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