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गुजरात में 33 साल बाद बाघ की एंट्री, शेर-तेंदुआ की मौजूदगी ने बनाया ये बड़ा रिकॉर्ड

गुजरात एक बार फिर टाइगर स्टेट बन गया है। गुजरात में 33 साल बाद बाघ यानी टाइगर की मौजूदगी पाई गई है। पिछली बार साल 1989 की जनगणना में बाघ के पंजों के निशान मिले थे लेकिन उनकी मौजूदगी नहीं पाई गई थी। पढ़ें भूपेंद्र ठाकुर की पूरी रिपोर्ट...

गुजरात ने एक रिकॉर्ड बनाया है। 33 साल बाद गुजरात में बाघ की एंट्री हुई है। गुजरात में पहले से ही शेर और तेंदुआ मौजूद थे। बाघ की एंट्री होने से गुजरात देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसमें बिल्ली की तीनों प्रजातियों यानी शेर, बाघ और तेंदुआ रहते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो 33 साल बाद गुजरात फिर से ‘टाइगर स्टेट’ बन गया है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) की ओर से तैयार किए गए प्रारंभिक अध्ययन रिपोर्ट में राज्य में बाघ की मौजूदगी की पुष्टि की गई है।

वन एवं पर्यावरण मंत्री अर्जुनभाई मोढवाडिया ने बताया कि एनटीसीए की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक पत्र प्राप्त नहीं हुआ है, लेकिन गुजरात में किए गए उनके अध्ययन के प्राथमिक रिपोर्ट में रतनमहल वन्यजीव अभयारण्य में बाघ के होने की पुष्टि की गई है। यही कारण है कि देश की बाघ जनगणना में इस बार गुजरात का भी नाम शामिल किया गया है।

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मंत्री ने कहा कि गुजरात में पहले बाघों की बड़ी संख्या थी, लेकिन समय के साथ यह प्रजाति राज्य से विलुप्त हो गई। आखिरी बार साल 1989 में बाघ की जनगणना हुई थी, जिसमें पंजों के निशान तो मिले लेकिन बाघ दिखाई नहीं दिया। साल 1992 में गुजरात को टाइगर जनगणना से हटा दिया गया था।

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फरवरी 2025 में रतनमहल अभयारण्य में पहली बार एक बाघ के कैमरा ट्रैप में कैद होने के बाद उम्मीद जगी कि बाघ फिर से गुजरात लौट आए हैं। वन विभाग ने इलाके में गश्त बढ़ाई और कई जगह बड़े आकार के पंजों के निशान भी मिले, जिसके बाद एनटीसीए ने अध्ययन शुरू किया।

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प्रारंभिक रिपोर्ट में यह साफ बताया गया है कि गुजरात में बाघों के लिए उपयुक्त इको सिस्टम मौजूद है। इसे और मजबूत बनाने के लिए भी अनुशंसाएं की गई हैं। राज्य सरकार अब इस दिशा में तेजी से काम कर रही है। कैमरा ट्रैप बढ़ाए गए हैं, पानी और शिकार प्रजातियों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है और बाघों के संरक्षण के लिए स्टाफ को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

अर्जुन मोढवाडिया ने कहा कि बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए मादा बाघ को लाने की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है। साथ ही भविष्य में रतनमहल अभयारण्य को ‘टाइगर रिजर्व’ घोषित करने की तैयारी है। उन्होंने आगे कहा कि गुजरात अब भारत का एकमात्र ऐसा राज्य बन गया है जहां बड़ी बिल्ली की तीनों प्रमुख प्रजातियां शेर, बाघ और तेंदुआ एक साथ पाई जाती हैं।

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