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Snooping Case: मनीष सिसोदिया की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, जासूसी के आरोपों पर CBI जांच की मंजूरी

Snooping Case: दिल्ली में पहले से शराब नीति मामले में आरोपों का सामना कर रहे डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय फीडबैक यूनिट के जरिए स्नूपिंग (जासूसी) मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मनीष सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। जानकारी के मुताबिक, 17 […]

मनीष सिसोदिया। -फाइल फोटो
Snooping Case: दिल्ली में पहले से शराब नीति मामले में आरोपों का सामना कर रहे डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय फीडबैक यूनिट के जरिए स्नूपिंग (जासूसी) मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मनीष सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। जानकारी के मुताबिक, 17 फरवरी को दिल्ली के उपराज्यपाल सचिवालय को गृह मंत्रालय ने सीबीआई को कथित स्नूपिंग मामले में सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अभियोजन स्वीकृति के लिए सीबीआई के अनुरोध को मंजूरी दे दी थी और इसे गृह मंत्रालय को भेज दिया था। और पढ़िए –  लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर गृहमंत्री शाह का 3 दिन में 3 राज्यों का तूफानी दौरा

सीबीआई ने FIR दर्ज करने की मांगी थी मंजूरी

सीबीआई ने सिसोदिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मंजूरी मांगी थी, जो दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग के प्रमुख हैं। बता दें कि 2015 में दिल्ली सरकार ने फीडबैक यूनिट का गठन किया था। आरोप है कि फीडबैक यूनिट ने फरवरी 2016 से सितंबर 2016 तक विपक्षी राजनीतिक दलों, संस्थाओं और व्यक्तियों की जासूसी की थी। आरोप है कि इस यूनिट के लिए उपराज्यपाल से किसी तरह की अनुमति भी नहीं ली गई थी। सूत्रों ने कहा था कि ये फीडबैक यूनिट बिना किसी विधायी या न्यायिक निरीक्षण के सीएम अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगियों और सलाहकारों द्वारा चलाई जा रही थी, जो सीधे उन्हें रिपोर्ट करते थे। मामला गुप्त सेवा के नाम पर एफबीयू को आवंटित धन, बेहिसाब खर्च से भी संबंधित है। और पढ़िए –  बागेश्वर धाम, शादी में फायरिंग का मामला: भाई पर केस दर्ज होने के बाद धीरेंद्र शास्त्री ने तोड़ी चुप्पी, जानें क्या कहा? न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, मार्च 2017 में सतर्कता विभाग ने भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) को जांच सौंपी थी। इसके बाद एलजी ऑफिस ने इसे सीबीआई को मार्क कर दिया था। उक्त मामले की प्रारंभिक जांच 2021 में पूरी हुई थी। सीबीआई ने 2021 में एलजी और एमएचए को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 ए के तहत FIR दर्ज करने की मंजूरी के लिए लिखा था। और पढ़िए – देश से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें यहाँ पढ़ें


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