HIV Test Kits Missing in Delhi Hospital: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कुछ अस्पताल और इंटीग्रेटेड काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर (ICTC) पिछले 6 महीने से एचआईवी (HIV) कन्फर्मेशन टेस्ट किट की कमी का सामना कर रहे हैं। इस कमी से उन लोगों के बीच खतरे की घंटी बजा गई है जो इस संक्रमण के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं। सूत्रों के अनुसार, HIV टेस्ट किट की कमी की झेल रहे अस्पतालों की लिस्ट में राज्य सरकार द्वारा संचालित दीप चंद बंधु और जीटीबी अस्पताल सहित एमसीडी द्वारा संचालित हिंदू राव अस्पताल शामिल हैं।
हिंदू राव अस्पताल में किट की कमी
हिंदू राव अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मुकेश कुमार ने बताया कि HIV टेस्ट के 3 प्रकार से होता हैं, जो बेसिक एंटीबॉडी, एंटीजन/एंटीबॉडी और न्यूक्लिक एसिड है। डॉ. मुकेश कुमार ने कहा कि इस लिस्ट में शामिल पहला प्रकार तो उपलब्ध है, लेकिन बाद वाले 2 उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्होंने दिल्ली सरकार को पत्र भी लिखा है। हालांकि अभी वो लोग मरीजों को लोक नायक अस्पताल भेज रहे हैं।
6 महीनों से अस्पताल से 'गायब' हैं HIV टेस्ट किट
वहीं, दीप चंद बंधु अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उनका अस्पताल किट की कमी का सामना कर रहा है, जिसकी वजह से मरीजों को हाई सेंटर पर भेजा रहा हैं। हालांकि, अस्पताल के एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि पिछले 6 महीनों से उसके पास HIV कन्फर्मेशन टेस्ट किट नहीं हैं।
NACO की ओर से आपूर्ति का मुद्दा नहीं
वहीं, इस मामले में आईसीटीसी के सूत्रों ने दावा किया कि राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) में आपूर्ति श्रृंखला मुद्दे के कारण ये कमी हुई है। दिल्ली राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी (DSACS) के निदेशक संजय गिहार के अनुसार, "थोड़ी कमी थी लेकिन हमने अब ऑर्डर दे दिया है और जल्द ही (किट) मिलेंगे। बुधवार से, सभी केंद्रों पर किट होंगी।" उन्होंने कहा कि NACO की ओर से आपूर्ति श्रृंखला का कोई मुद्दा नहीं था। एनएसीओ के अतिरिक्त सचिव एवं महानिदेशक वी हेकाली झिमोमी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे।
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यौनकर्मियों के साथ काम करने वाले NGO ने दावा किया कि टेस्ट किटों के अलावा, पिछले 6 महीनों से SID के इलाज के लिए कंडोम और पेनिसिलिन इंजेक्शन की भी कमी हो गई है।
LGBTIQ समुदाय के लिए बढ़ा खतरा
LGBTIQ समुदाय के लिए काम करने वाले एक NGO स्पेस की निदेशक रूपिका ढिल्लन के अनुसार, यौनकर्मियों को HIV होने का बहुत खतरा है। वो अपनी HIV की स्थिति जानने में असमर्थ हैं... कोई भी उनकी दुर्दशा पर ध्यान नहीं दे रहा है। वहीं एक ट्रांसजेंडर सेक्स वर्कर हिमांशी ने कहा कि सरकार को LGBTIQ समुदाय की ज्यादा परवाह नहीं है। उन्होंने आगे कहा, "मुझे डर है... अगर मुझे वायरस हो गया तो क्या होगा? हमारे परिवारों ने हमें अस्वीकार कर दिया है और हमारे पास खुद को मैनेज करने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं।"