Supreme Court: दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की पीठ में सहमति नहीं बन सकी। जस्टिस पंकज मिथल ने ताहिर हुसैन की अर्जी खारिज कर दी। वहीं, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने अर्जी को मंजूर कर लिया। दोनों जजों के अलग-अलग फैसला सुनाए जाने के कारण ताहिर को फिलहाल राहत नहीं मिल सकी है। अब मामला मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के सामने रखा जाएगा। वे ही इस मामले में सुनवाई के लिए 3 जजों की नई पीठ का गठन करेंगे। बता दें कि हुसैन को दिल्ली विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने मुस्तफाबाद सीट से टिकट दिया है। हुसैन ने चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देने की मांग को लेकर शीर्ष न्यायालय में अर्जी दायर की थी।
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जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि ताहिर हुसैन के खिलाफ लगे आरोप गंभीर हैं, लेकिन फिलहाल ये सिर्फ आरोप हैं। उनकी जेल अवधि और दूसरे मामलों में मिली बेल को ध्यान में रखकर मेरी राय यही है कि उनको अंतरिम जमानत मिल सकती है। अमानुल्लाह ने 4 फरवरी तक अंतरिम जमानत देने का फैसला सुनाया। आरोपी ताहिर को उसी दिन शाम के समय जेल अधिकारियों के समक्ष सरेंडर करना होगा।
वहीं, जस्टिस पंकज मिथल ने कहा कि अंतरिम जमानत देने के लिए चुनाव लड़ने का अधिकार एक आधार के रूप में मान्यता नहीं रखता। परिस्थितियों पर सब कुछ निर्भर करता है। यदि ऐसी कोई याचिका दाखिल होती है तो संबंधित पार्टी को नामांकन की इजाजत दी जा सकती है, चुनाव लड़ने की नहीं। यदि चुनाव लड़ने के लिए अंतरिम जमानत दी जाने लगी तो इससे पैंडोरा बॉक्स खुल जाएगा। पूरे देश में कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं। प्रत्येक आरोपी याचिका दाखिल करेगा कि वह चुनाव लड़ रहा है। इसलिए जमानत दी जाए। इसलिए उनकी राय के हिसाब से मामले में जमानत नहीं दी जा सकती।
14 जनवरी को मिली थी कस्टडी पैरोल
वहीं, एडिशनल सॉलिसिटर ने ताहिर को जमानत देने का विरोध किया। उन्होंने दलीलें दीं कि आरोपी चुनाव प्रचार के दौरान गवाहों को प्रभावित कर सकता है। ताहिर हुसैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के भी आरोप हैं। ऐसे में उसे बेल नहीं देनी चाहिए। आरोपी जेल से बाहर जाकर केस को प्रभावित कर सकता है। बता दें कि ताहिर हुसैन आम आदमी पार्टी (AAP) के टिकट पर पार्षद का चुनाव भी जीत चुका है। उसे 14 जनवरी को नामांकन करने के लिए हाई कोर्ट ने कस्टडी पैरोल दी थी।
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दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव प्रचार के लिए उसकी अंतरिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद ताहिर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। ताहिर हुसैन समेत 11 लोगों के खिलाफ पुलिस ने दिल्ली दंगे में शामिल होने के आरोप में केस दर्ज किया था। 24 फरवरी 2020 को राजधानी दिल्ली में दंगा हुआ था, जिसमें 53 लोगों की मौत हुई थी। कई लोग दंगे में घायल हुए थे। ताहिर पर आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या का भी आरोप है। रविंदर कुमार ने 26 फरवरी 2020 को दयालपुर पुलिस स्टेशन में अपने बेटे अंकित शर्मा की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवाई थी। पुलिस ने अंकित की लाश दंगा प्रभावित इलाके में खजूरी खास नाले से बरामद की थी। उनके शरीर पर चोट के 51 निशान मिले थे।