राष्ट्रीय राजधानी के दिल्ली के प्रदूषण का असर केवल दिल्ली-एनसीआर तक है लेकिन इसकी चर्चा पूरे देश में है। प्रदूषण को खत्म करने के कई प्रयास हो रहे हैं लेकिन नतीजा देखने को नहीं मिल रहा है। अब दिल्ली सरकार प्रदूषण खत्म करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) का सहारा लेने जा रहा है। दिल्ली सरकार आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर क्लीन एयर फ्रेमवर्क तैयार करेगी।
दिल्ली सरकार वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक व्यापक, साल-भर चलने वाली रणनीति पर काम कर रही है। दरअसल, दिल्ली सरकार IIT कानपुर के साथ AI आधारित डेटा-ड्रिवन प्रणाली पर सहयोग की संभावना तलाश रही है। डेटा-ड्रिवन प्रणाली रणनीति का एक प्रमुख आधार डायनामिक सोर्स अपॉर्शनमेंट है, जिसके माध्यम से धूल, परिवहन, उद्योग, बायोमास जलाने और क्षेत्रीय कारकों से होने वाले प्रदूषण का वैज्ञानिक निर्धारण किया जाएगा। इससे एजेंसियां सामान्य प्रतिबंधों की बजाय सीधे प्रदूषण के मूल कारणों पर कार्रवाई कर सकेंगी।
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प्रस्तावित मॉडल में बहु-एजेंसी समन्वय पर भी विशेष जोर दिया गया है, ताकि नगर निगम, जिला प्रशासन, प्रवर्तन एजेंसियां और तकनीकी संस्थान एक साझा डेटा प्लेटफॉर्म पर काम करें, जहां जिम्मेदारियां स्पष्ट हों और जवाबदेही तय हो। दिल्ली को ‘फायरफाइटिंग’ से निकालकर वास्तविक रोकथाम की ओर ले जाना है, इस वक्त दिल्ली सरकार के लिए सबसे अहम माना जा रहा हैं। दिल्ली के प्रदूषण पर अब 365 दिन काम होगा।
सीधे शब्दों में कहें तो अब निर्णय रियल-टाइम डेटा, प्रदूषण स्रोतों की सटीक पहचान और मापनीय परिणामों के आधार पर लिए जाएंगे। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मंजिन्दर सिंह सिरसा ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण कोई मौसमी अभियान नहीं हो सकता। दिल्ली को 365 दिनों का ऐसा एक्शन फ्रेमवर्क चाहिए जिसमें तकनीक, शासन और प्रवर्तन पूरी तरह समन्वित हों और हर निर्णय डेटा-आधारित हो।
बता दें कि दिल्ली-एनसीआर की सभी एजेंसियों को जोड़ते हुए ‘Whole-of-Government’ क्लीन एयर फ्रेमवर्क की तैयारी है। पिछले 24 घंटों में 250 छोटे और 92 बड़े C&D साइट्स का निरीक्षण, 1,694 किमी सड़कों पर पानी का छिड़काव, 41 ट्रैफिक प्वाइंट्स को जाम मुक्त किया गया। वहीं 6,000 किमी से अधिक सड़कों की सफाई, 7,000 से अधिक वाहनों पर प्रदूषण चालान, 58 सार्वजनिक शिकायतों का निस्तारण किया गया।
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