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रायपुर में कृषि वैज्ञानिकों की वर्कशॉप, बताया नई टेक्नोलॉजी के साथ खेती में पानी और प्रति हेक्टेयर 6 हजार कैसे बचाएं?

Raipur Agricultural Scientists Workshop: इस वर्कशॉप का मकसद किसानों के बीच धान की सीधी बुवाई को उन्नत तकनीक के इस्तेमाल के साथ करना सिखाना है। इस वर्कशॉप में देश विदेश से आए कई कृषि वैज्ञानिकों ने अपने विचार रखे हैं।

रायपुर में कृषि वैज्ञानिकों की वॉर्कशॉप
Raipur Agricultural Scientists Workshop: छत्तीसगढ़ में भाजपा की विष्णुदेव साय सरकार लगातार किसानों के लिए काम कर रही है। सरकार न सिर्फ किसानों की फसल को खरीद रही है, बल्कि उनके फसल की पैदावार को भी बढ़ाने के लिए काम कर रही है। राज्य में सरकार द्वारा किसानों के लिए कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। ऐसे में रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान और फिलिपींस एवं बायर क्रॉप साइंस लिमिटेड ने मिलकर कार्यशाला एवं कृषक सम्मान समारोह का आयोजन किया।

कृषि वैज्ञानिकों की वॉर्कशॉप

इस समारोह में धान की सीधी बुवाई तकनीक के बारे में बात की जाएगी। इस कार्यशाला का मकसद किसानों के बीच धान की सीधी बुवाई के लिए उन्नत तकनीक के इस्तेमाल के साथ जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना सिखाना है। इस कार्यशाला में वैज्ञानिकों ने बताया कि नई मशीनों की मदद से खेत में बुवाई करना, खरपतवार हटाना, संतुलित उर्वरक प्रबंधन, समुचित जल प्रबंधन की मदद से खेती को आसान बनाया जा सकता है। यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ CM विष्णुदेव साय को महिला स्व-सहायता समूह की बहनों ने दिया जन्मदिन का अनोखा तोहफा

नई टेक्नोलॉजी की खासियत

कृषि वैज्ञानिकों ने तो यहां तक कहा कि नई टेक्नोलॉजी के साथ धान की सीधी बुआई से करीब 25 प्रतिशत सिंचाई के पानी की बचत होगी। इसके अलावा खेती में भी प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 6 हजार रुपए की बजट होगी। इस नई टेक्नोलॉजी की खासियत यह भी है कि पर्यावरण अनुकूल होने के साथ ही मृदा संरक्षण को बढ़ावा देती है। इस कार्यक्रम में देश विदेश से आए कई कृषि वैज्ञानिकों ने अपने विचार रखे हैं।


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