सांसद मीसा भारती ने फिर बड़ा बयान दिया
बिहार में सियासी उठापटक पर राजद सांसद मीसा भारती का बयान संभावनाओं से इनकार नहीं कर सकते हैं। हालांकि, एक और सियासी चूड़ा दही भोज 13 जनवरी को ही हुआ था। बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा के आवास पर भोज का आयोजन किया गया था, जिसमें एनडीए गठबंधन के सभी नेताओं सहित राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी शामिल हुए। हालांकि, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने पार्टी कार्यालय में चूड़ा दही का भोज दिया था। जबकि 15 जनवरी को पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोजपा के अध्यक्ष पशुपति पारस ने भी चूड़ा दही का भोज रखा है। खास बात यह है कि इसमें एनडीए के साथ-साथ महा गठबंधन के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है। राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भी आमंत्रित किया गया है। जबकि कल ही सांसद लवली आनंद के विधायक बेटे चेतन आनंद ने भी भोज रखा है। दरअसल, पिछले कई सालों से मकर संक्रांति के दिन बिहार की राजनीति में बड़े खास मायने रहे हैं। 2022 में एनडीए में रहते हुए नीतीश कुमार पैदल ही लालू प्रसाद के आवास पर चूड़ा दही खाने पहुंच गए थे। जहां राबड़ी देवी ने उन्हें दही का तिलक भी लगाया था। इसी साल अगस्त महीने में नीतीश कुमार एनडीए का साथ छोड़कर महा गठबंधन के साथ चले गए, तो 2024 में मकर संक्रांति के दिन से ही राजनीतिक समीकरण बदलने लगे और मकर संक्रांति के बाद 28 जनवरी को नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़कर एनडीए में शामिल हो गए। इस साल भी राजनीति तब गरमा गई जब दिसंबर के महीने में लालू प्रसाद ने कह दिया कि नीतीश के लिए उनके दरवाजे खुले हैं। लालू के बाद उनकी सांसद बेटी मीसा भारती ने अपने बयान से राजनीति को गरमा दिया था। हालांकि, लालू के इस बयान के बाद बीजेपी जहां सकते में थी। वहीं, दूसरी तरफ जेडीयू के नेता भी खुद को असहज महसूस कर रहे थे। हालांकि, प्रगति यात्रा पर निकले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद ही इन अफवाहों पर विराम लगा दिया। उन्होंने यात्रा के क्रम में कह दिया - दो बार गलती से चले गए थे, लेकिन अब कहीं नहीं जाएंगे। राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार के अनुसार बिहार में चूड़ा दही के भोज की शुरुआत तो लालू प्रसाद ने ही 1995 में की थी। धीरे-धीरे चूड़ा दही के बहाने राजनीतिक समीकरण भी साधे जाने लगे। हालांकि, कोरोना काल के दौरान चूड़ा दही भोज का आयोजन नहीं हुआ था।---विज्ञापन---
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