चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज इस साल के अंत में बिहार चुनावों में उतरने की तैयारी कर रही है। वहीं, प्रशांत किशोर राजद के कद्दावर नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। साथ ही उन्होंने सत्तारूढ़ एनडीए पर भी हमला करते हुए कहा कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अपनी आखिरी राजनीतिक पारी खेल रहे हैं। भाजपा नीतीश कुमार को इस बार सीएम नहीं बनने देगी।
क्या कहा प्रशांत किशोर ने?
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने एनडीटी को दिए एक इंटरव्यू में अपनी पार्टी के विजन को रेखांकित किया और बताया कि वे बिहार विधानसभा चुनाव में बड़ी लड़ाई के लिए किस प्रकार की तैयारी कर रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या वे चुनाव मैदान में उतरेंगे? उन्होंने कहा, ‘अगर पार्टी फैसला करती है तो मैं निश्चित रूप से चुनाव लड़ूंगा। अगर पार्टी चाहती है कि मैं तेजस्वी यादव के खिलाफ राघोपुर से चुनाव लड़ूं तो मैं ऐसा जरूर करूंगा।’ बता दें कि राघोपुर विधानसभा क्षेत्र राजद का गढ़ है। यहां से राजद के संस्थापक लालू यादव, उनकी पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव कई बार निर्वाचित हुए हैं।
‘एनडीए सरकार सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है’
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। पीके ने कहा, उन्होंने कोविड प्रबंधन में गड़बड़ी की, लोग नाराज हैं। नीतीश कुमार अपनी आखिरी राजनीतिक पारी खेल रहे हैं। भाजपा नीतीश कुमार को फिर कभी मुख्यमंत्री नहीं बनने देगी और एनडीए बिहार में अगली सरकार नहीं बनाएगी। अगर इंडिया ब्लॉक सत्ता में आता है तो भी नीतीश कुमार को कभी मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा, इसलिए वे केवल 5 महीने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री हैं।’ गौरतलब है कि नीतीश कुमार राजनीतिक गलियारे में पार्टी बदलने के लिए जाने जाते हैं और सीएम के रूप में अपना नौवां कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। वे वर्तमान सहयोगी भाजपा के साथ चुनाव की तैयारी कर रहे हैं और उनका मुकाबला राजद और कांग्रेस के गठबंधन से है।
जन सुराज किन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है?
इस बारे में पूछे जाने पर प्रशांत किशोर ने कहा, ‘भ्रष्टाचार, पलायन और शासन की कमी, हम इन 3 मुद्दों पर चुनाव लड़ेंगे। नीतीश कुमार निष्क्रिय हैं, उनके अधिकारी, करीबी और राजनीतिक दोस्त सरकार चला रहे हैं। उन्हें नहीं पता कि क्या चल रहा है? हम सभी जानते हैं कि सरकार कौन चला रहा है? हम आने वाले चुनाव में इन मुद्दों को उठाएंगे।’ यह पूछे जाने पर कि क्या बिहार में मतदाताओं को ऐसे मुद्दे पसंद आएंगे, क्योंकि बिहार के मतदाताओं को व्यापक रूप से जातिगत समीकरणों से प्रेरित माना जाता है। उन्होंने कहा, ‘बिहार के लोगों की बुद्धि पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए। वे विकास को अच्छी तरह समझते हैं। इसीलिए उन्होंने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ नीतीश कुमार को वोट दिया और उन्हें सत्ता में लाया। उस समय लालू प्रसाद यादव अपने चरम पर थे, लोगों ने उन्हें वोट नहीं दिया क्योंकि वे विकास में विश्वास नहीं करते थे। इसी तरह नीतीश कुमार भी बेनकाब हो गए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में उनकी शक्ति कम हो गई थी।’
‘मैं इफ्तार पार्टियों के आयोजन में विश्वास नहीं रखता’
इफ्तार पार्टियों में उनकी उपस्थिति और क्या इसका उद्देश्य अल्पसंख्यकों को खुश करना है, के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘जब मैं क्षेत्र में घूम रहा हूं तो इफ्तार पार्टियों में शामिल होने में कुछ भी गलत नहीं है। अगर रमजान है और इफ्तार पार्टी हो रही है तो मैं निश्चित रूप से उसमें शामिल होऊंगा। मैं इफ्तार पार्टियों के आयोजन में विश्वास नहीं रखता हूं।’
‘मैं जाति की राजनीति से ऊपर हूं’
प्रतिद्वंद्वियों के इस आरोप के बारे में पूछे जाने पर कि वह जातिगत समीकरणों के अनुसार भी अपनी चालें चल रहे हैं। किशोर ने कहा, ‘यह गलत आरोप है। मैं जाति की राजनीति से ऊपर हूं। मैं टिकट वितरण में सभी जातियों को उनकी आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व दूंगा। हम सभी जातियों, विशेष रूप से योग्य लोगों को प्रतिनिधित्व देंगे। मैं जातिगत बैठकें नहीं करता। तेजस्वी और लालू यादव ठेठ जाति की राजनीति करते हैं, जबकि चिराग पासवान ऐसा नहीं करते। यही अंतर है।’ उन्होंने यह भी कहा कि दक्षिण भारत सहित कई राज्यों में जातिगत समीकरण महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हम केवल बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के बारे में ही बात करते हैं।
नीतीश कुमार के हालिया बदलाव से पहले महागठबंधन सरकार द्वारा कराए गए जातिगत सर्वेक्षण के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यहां सरकार सिर्फ जातिगत सर्वेक्षण कराती है, लेकिन उसके बाद क्या होता है, इस बारे में कोई बात नहीं करता। आपको सर्वेक्षण के नतीजों पर काम करने की जरूरत है।
‘मुझे मेरे पिछले पेशे से मत आंकिए’
एक निजी सवाल में किशोर से पूछा गया कि क्या चुनावी रणनीतिकार की उनकी छवि उनकी राजनीतिक संभावनाओं को बाधित कर सकती है। इसपर उन्होंने जवाब दिया, ‘मैंने संयुक्त राष्ट्र में भी काम किया है। मैंने एक राजनीतिक सलाहकार के रूप में काम किया, लेकिन अब मैं एक पूर्णकालिक राजनीतिज्ञ हूं। कृपया मुझे मेरे पिछले पेशे से मत आंकिए।’