Bihar Ganga Water Not Suitable For Bath: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुए महाकुंभ में करोड़ों लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई। इस दौरान सवाल उठा कि महाकुंभ के गंगा में नहाना सुरक्षित नहीं है। हालांकि, यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट ने यह साफ कर दिया था कि महाकुंभ के गंगा पूरी तरह से नहाने के योग्य है। इसी बीच अब बिहार आर्थिक सर्वे 2024-25 की रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि बिहार में बहने वाली गंगा का पानी नहाने के लायक नहीं है। क्योंकि बिहार में गंगा के पानी में काफी भारी मात्रा में 'जीवाणुजनित आबादी' (Bacterial Populations) की मौजूदगी मिली है।
कैसा है बिहार की गंगा का पानी?
बिहार विधानसभा में पेश किए गए इस सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार की गंगा के पानी से नहाने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि गंगा के पानी में कोलीफॉर्म और फेकल कोलीफॉर्म की मात्रा काफी ज्यादा है, जो गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे बसे शहरों से निकलने वाले सीवेज या घरेलू गंदे पानी के कारण है।
क्या कहती है सर्वे रिपोर्ट?
सर्वे में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (BSPCB) की लेटेस्ट वॉटर क्वालिटी टेस्ट रिजल्ट्स का हवाला दिया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार में उसकी सहायक नदियों में निर्धारित सीमा के अंदर पीएच (अम्लता या क्षारीयता), घुलित ऑक्सीजन और जैव-रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD) पाए गए हैं। यह दर्शाता है कि गंगा का पानी जलीय जीवन, वन्यजीव प्रसार, मछली पालन और सिंचाई के लिए उपयुक्त है।
क्या है समस्या का कारण?
सर्वे में बताया गया है कि नदी के किनारे बसे शहरों के घरों का सीवेज बिना किसी ट्रीटमेंट के नदियों में छोड़ दिया जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए BSPCB सक्रिय रूप से पानी की गुणवत्ता की निगरानी कर रहा है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स में सुधार और बेस्ट वेस्ट मैनेजमेंट को सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया जा रहा है।
क्या बोले BSPCB के अध्यक्ष?
रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए BSPCB के अध्यक्ष डीके शुक्ला ने कहा कि गंगा में जीवाणुओं की अधिक संख्या की मौजूदगी चिंता का विषय है। फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया मलमूत्र में पाए जाते हैं, जो अनुपचारित सीवेज के जरिए पानी को दूषित करते हैं। इसका स्तर जितना अधिक होगा, पानी में रोग पैदा करने वाले रोगाणुओं की मौजूदगी उतनी ही अधिक होगी। CPCB मानकों के अनुसार, फेकल कोलीफॉर्म की स्वीकार्य सीमा 2,500 एमपीएन/100 एमएल है। उन्होंने कहा कि ज्यादा जगहों पर गंगा में कोलीफॉर्म और फेकल कोलीफॉर्म की मौजूदगी बहुत अधिक है, जो दर्शाता है कि यह पानी नहाने के लिए लायक नहीं है।
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नदी के तट पर बसे शहर
अधिकारियों ने बताया कि बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (BSPCB) द्वारा राज्य में 34 जगहों पर गंगा के पानी की गुणवत्ता की हर पखवाड़े निगरानी की जाती है।
बता दें कि बिहार के नदी के तट पर बक्सर, छपरा (सारण), दिघवारा, सोनेपुर, मनेर, दानापुर, पटना, फतुहा, बख्तियारपुर, बाढ़, मोकामा, बेगुसराय, खगड़िया, लखीसराय, मनिहारी, मुंगेर, जमालपुर, सुल्तानगंज, भागलपुर और कहलगांव जैसे महत्वपूर्ण शहर स्थित हैं।