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Bihar Floor Test: नीतीश कुमार बने रहेंगे CM या होगा ‘खेला’? बने 1969 जैसे हालात

Bihar Floor Test: बिहार की सियासत में 12 फरवरी का दिन बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिन नीतीश सरकार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का सामना करेगी।

लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव (फाइल फोटो)
Bihar Floor Test (अमिताभ कुमार ओझा): बिहार में 12 फरवरी को नीतीश सरकार का फ्लोर टेस्ट होना है, लेकिन उससे पहले सूबे की सियासत में अजीब भूचाल आ गया है। अब 'खेला' करने का दावा करने वाले भी डरे हुए है और 'खेला' से डरने वाले भी... विधायकों की खेमेबंदी से लेकर उनकी बाड़ेबंदी तक कर दी गई है। जानकार बताते हैं कि 1969 के बाद पहली बार बिहार में ऐसे राजनीतिक हालात बने हैं, जब विधायकों को नजरबंद किया गया है। हर पार्टियों के लिए उनके एक-एक विधायक काफी महत्वपूर्ण हो गए हैं। विधायकों को लेकर सतर्क हैं पार्टियां बिहार में 12 फरवरी को विधानसभा में होने वाली नीतीश सरकार के शक्ति परीक्षण के पहले सभी पार्टियां अपनी शक्ति का स्वयं आकलन करने में जुटी हैं। चाहे बीजेपी हो, जेडीयू हो, कांग्रेस हो या फिर आरजेडी... कहीं न कहीं सभी पार्टियों का शीर्ष नेतृत्व अपने विधायकों को लेकर सतर्क है। शनिवार से लगभग सभी पार्टियों ने अपने विधायकों को एक साथ कर लिया है। बीजेपी के प्रशिक्षण शिविर में पहुंचे 77 विधायक बीजेपी ने बोधगया में एक बड़ा सा रिसोर्ट बुक करवाकर अपने सभी 78 विधायकों, विधान पार्षदों और महामंत्रियों को बुला लिया। बताया गया कि यह दो दिन का प्रशिक्षण शिविर है, जिसमें सभी को अनिवार्य रूप से उपस्थित रहना है। बीजेपी के इस शिविर में 77 विधायक पहुंचे। एक विधायक विनय बिहारी कल तक नहीं पहुंचे, क्योंकि उनके घर में शादी समारोह है, लेकिन पटना में शनिवार को वरिष्ठ नेता और मंत्री श्रवण कुमार के आवास पर हुई भोज ने जेडीयू की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि इस बैठक में पार्टी के छह विधायक नहीं पहुंचे। इसके बाद कई सवाल खड़े हुए। 'लालटेन का तेल समाप्त हो चुका है' भोज में न पहुचने वाले विधायकों में डॉ संजीव, दिलीप राय, शालिनी मिश्रा, बीमा भारती, सुदर्शन और अशोक कुमार चौधरी शामिल थे। हालांकि, श्रवण कुमार ने बताया कि कुछ व्यक्तिगत कारणों से वे नहीं पहुंचे हैं, लेकिन 11 फरवरी को मंत्री विजय चौधरी के घर होने वाली विधायक दल की बैठक में वो सभी विधायक आयेंगे। सभी संपर्क में हैं। जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार के अनुसार, अब लालटेन में कोई दम नहीं है। इसका तेल समाप्त हो चुका है। कांग्रेस ने विधायकों को भेजा हैदराबाद अगर बात महागठबंधन की करे तो कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को एक सप्ताह पहले ही हैदराबाद भेज दिया था। हालांकि, उनके 19 में से 16 विधायक ही हैदराबाद गए हैं। चर्चा यही है कि कांग्रेस के विधायक ऑपरेशन लोटस के शिकार हो सकते थे, इसलिए उन्हें पहले दिल्ली में बैठक के लिए बुलाया गया और फिर वहां से सीधे हैदराबाद भेज दिया गया। हालांकि शनिवार की शाम पटना पहुंचे प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि उनके विधायकों को किसी से खतरा नहीं हैं। सभी विधायक रविवार की शाम तक पटना पहुंच जायेंगे। आरजेडी खेमे में मची खलबली  सबसे ज्यादा खलबली आरजेडी खेमे में देखने को मिली। शनिवार को आरजेडी के साथ साथ वामपंथी दलों के विधायकों को बैठक में बुलाया गया, लेकिन बैठक के बाद सभी विधायकों को लालू यादव ने फरमान सुना दिया कि वे सभी लोग सोमवार की सुबह तक यही रहेंगे। यानि कि सभी विधायक लालू आवास में ही रहेंगे और सीधे यहां से विधानसभा जायेंगे। आरजेडी की बैठक में नहीं पहुंचे दो विधायक आरजेडी की परेशानी इस बात की भी रही कि 79 में से 77 विधायक ही बैठक में पहुंचे . दो विधायक बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी और बोधगया से विधायक कुमार सर्वजीत बैठक में शामिल नहीं हुए . हालाँकि आर जे डी के संसद मनोज झा ने कहा की दोनों विधायको से संपर्क है और वो रविवार शाम तक आ जायेंगे। '1969 में बन चुकी है ऐसी स्थिति' बिहार की वर्तमान राजनीतिक स्थिति के बारे में चर्चा करते हुए वरिष्ठ पत्रकार लव कुमार मिश्रा बताते हैं कि बिहार की राजनीति में ऐसे उथल-पुथल के दौर पहले भी हुए हैं। साल 1969 में महामाया बाबू की सरकार थी, तब बी पी मण्डल 39 विधायकों को लेकर अलग हो गए थे और उन्हें अपने साथ तब तक रखे थे, जब तक कि वो मुख्यमंत्री की शपथ नहीं ले लिए । लव कुमार मिश्रा के अनुसार, कुछ ऐसी ही स्थिति 1979 में कर्पूरी ठाकुर के मुख्यमंत्री रहते हुए हुआ था। हालांकि, तब न इतने संसाधन थे और न इतनी जगह। तब ले देकर एम एल क्लब ही ऐसा जगह था, जहा विधायकों को घेरे में रखा जाता था। यह भी पढ़ें: सम्राट चौधरी ने ऐसा क्या कह दिया, जिससे बढ़ गई नीतीश कुमार की टेंशन! 'नीतीश कुमार को बहुमत साबित होने में नहीं होगी कोई परेशानी' वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार बताते हैं कि ऐसा नहीं लगता कि नीतीश कुमार को बहुमत साबित करने में कोई परेशानी होगी, क्योंकि बागी होने वाले विधायकों को भी पता है कि नीतीश कुमार के बहुमत साबित नहीं कर पाने की स्थिति में राष्ट्रपति शासन के दरवाजे खुल जायेंगे। डॉ. संजय कुमार के अनुसार, कुछ विधायक अपने नेतृत्व से नाराज हो सकते हैं, लेकिन बागी होने की स्थिति में नहीं है। मसलन जेडीयू की विधायक बीमा भारती पहले से नाराज चल रही हैं कि हर बार लेसी सिंह को ही मंत्री क्यों बनाया जाता है, उन्हें क्यों नहीं। उनकी नाराजगी इस बार भी है। इसी तरह, आरजेडी विधायक नीलम देवी नाराज हैं कि सत्ता में होने के बाद भी उनके पति अनंत सिंह को सरकार ने खूब परेशान किया। यह भी पढ़ें: क्या ‘ऑपरेशन लोटस’ पर भारी पड़ेगा ‘ऑपरेशन लालटेन’? नीतीश सरकार के साथ होगा ‘खेला’!


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