Bihar Chunav 2025 BJP First Candidate List: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा की पहली सूची में क्या-क्या बदलाव हो सकते हैं? इसपर पहला अपडेट सामने आया है. सूत्र बताते हैं कि पहली सूची में भाजपा अपने मौजूदा विधायकों पर ही दांव खेल सकती है, यानी लिस्ट में नए चेहरे कम ही देखने को मिलेंगे. गठबंधन के अन्य दलों पर इस समय भाजपा का मुख्य फोकस बना हुआ है. बीती शाम को भी यही सामने आया था कि चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाह की बातचीत सही दिशा में जारी है. अब एनडीए के दलों में कोई विवाद नहीं है. उम्मीदवारों की पहली संयुक्त सूची 13 अक्टूबर को आ सकती है.
भाजपा के 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की अटकलें
भाजपा के एक सीनियर नेता ने बताया कि भाजपा इस बार 100 के करीब सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार सकती है, 80 सीटों पर उसके मौजूदा विधायक हैं. पांच साल के कार्यकाल और क्षेत्र में उनकी सक्रियता और जीतने के चांस को देखने के बाद ही भाजपा यह फैसला लेगी कि उन्हें उनकी सीट से दोबारा टिकट दिया जाए या नहीं. उम्मीद है कि इस विश्लेषण में कम विधायकों के ही टिकट कटने के चांस हैं तो ऐसे में भाजपा के उम्मीदवारों की सूची में कम चेहरे ही नए देखने को मिलेंगे.
---विज्ञापन---
यह भी पढ़ें: Bihar Chunav 2025: बिहार में NDA की सीट शेयरिंग पर सहमति, जानें कब आएगी पहली संयुक्त सूची?
---विज्ञापन---
पिछले दो चुनाव में भाजपा के क्या थे आंकड़े
बिहार में 2020 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने गठबंधन में जुड़ते हुए 110 सीटों पर चुनाव लड़ा. उसे 74 सीटों पर जीत मिली, उपचुनाव जीतने के बाद और दूसरे दलों से पार्टी में आए नेताओं के बाद संख्या 80 तक पहुंच गई. उससे पहले 2015 में भाजपा ने अकेले 157 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें केवल 53 सीटें खाते में आईं. यानी गठबंधन में रहते हुए भाजपा को विधानसभा चुनाव में ज्यादा सफलता हासिल हुई. इस बार तो चिराग भी 4 वही सीटें चाहते हैं जहां भाजपा के मौजूदा विधायक है. यह वहीं सीटे हैं जहां लोकसभा चुनाव में चिराग की पार्टी गठबंधन में रहते हुए जीती थी. उसी जीत को चिराग अब विधानसभा चुनाव में भी दोहराना चाहते हैं.
यह भी पढ़ें: Bihar Chunav 2025: बिहार में चिराग पासवान NDA के लिए क्यों जरूरी, हटे तो कितना नुकसान?
गठबंधन में भाजपा की सीटें कम होना तय
2020 में 110 सीटों पर बिहार के चुनाव मैदान में उतरी भाजपा को इस बार 100 सीटों पर ही संतोष करना पड़ सकता है, लेकिन सहयोगी दल भी गठबंधन में रहते हुए सीटें बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. गठबंधन धर्म निभाते हुए भाजपा और जदयू को सहयोगियों के लिए सीटें कम करनी ही होंगी. स्पष्ट संकेत हैं कि भाजपा अगर कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी तो उसकी सीटें भी कम होने के चांस हैं. गोविंदगंज जैसी सीट परद पकड़ के बावजूद भाजपा को सीट छोड़नी पड़ सकती है, वहीं तत्कालीन विधायक के मिसरी लाल के निलंबन के बाद अलीनगर और 74 साल से अधिक उम्र के अरुण कुमार सिन्हा की जगह कुम्हरार सीट पर नया चेहरा दिख सकता है, वहीं मुजफ्फरपुर से भाजपा हार गई थी.