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CWG 2022: कौन हैं सिल्वर गर्ल बिंदियारानी? जब जूते नहीं थे तब मीराबाई चानू ने की मदद

नई दिल्ली: बर्मिंघम में खेले जा रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में शनिवार का दिन भारत के अच्छा रहा। शनिवार को भारत ने चार पदक जीते। सारे मेडल वेटलिफ्टिंग में आई। देश को पहला गोल्ड मेडल मीराबाई चानू ने दिलाया। शुरुआत की संकेत महादेव ने इसके बाद गुरुराजा से होते हुए बिंदियारानी देवी ने भारत की झोली […]

Author Edited By : Gyanendra Sharma Updated: Apr 4, 2025 16:12

नई दिल्ली: बर्मिंघम में खेले जा रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में शनिवार का दिन भारत के अच्छा रहा। शनिवार को भारत ने चार पदक जीते। सारे मेडल वेटलिफ्टिंग में आई। देश को पहला गोल्ड मेडल मीराबाई चानू ने दिलाया। शुरुआत की संकेत महादेव ने इसके बाद गुरुराजा से होते हुए बिंदियारानी देवी ने भारत की झोली में पदक डाला।

बिंदियारानी कॉमनवेल्थ गेम्स के दूसरे दिन पदक जीतने वाली चौथी भारतीय वेटलिफ्टर रहीं। 23 साल की मणिपुर की इस वेटलिफ्टर ने महिलाओं के 55 किलो भार वर्ग में सिल्वर मेडल जीता। उन्होंने क्लीन एंड जर्क में 116 किलो भार उठाकर कुल 202 किलो वजन के साथ कॉमनवेल्थ गेम्स का रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने स्नैच में मीराबाई चानू के 86 किलो के नेशनल रिकॉर्ड भी बराबरी की।

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कौन हैं सिल्वर गर्ल बिंदियारानी देवी?

बिंदियारानी देवी मणिपुर की रहने वाली हैं। बिंदियारानी पहले ताइक्वांडो प्लेयर थीं। उन्होंने खुद बताया था कि मैं पहले ताइक्वांडो खेलती थी। उन्होंने कहा कि 2008 से 2012 तक ताइक्वांडो खेलती थी, लेकिन फिर वेटलिफ्टिंग करने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि मुझे लंबाई की समस्या थी इसलिए मुझे शिफ्ट होना पड़ा। सभी ने कहा कि मेरी लंबाई वेटलिफ्टटिंग के लिए आदर्श है। बिंदियारानी मणिपुर की उसी एकेडमी में ट्रेनिंग करती हैं, जहां से निकलकर मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में झंडा गाड़ा था। वो मीराबाई को अपना आयडल मानती हैं।

 

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मीराबाई चानू ने की मदद

रिपोर्ट के मुताबिक जब मीराबाई चानू को बिंदियारानी के संघर्ष के बारे में पता चला था तो उन्होंने मदद का हाथ भी बढ़ाया था। मीराबाई को पता चला था कि बिंदियारानी के पास अच्छे जूते नहीं हैं तो इस खिलाड़ी ने अपने जूते बिंदियारानी को तोहफे में दे दिए। बिंदियारानी ने पिछले साल कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के बाद कहा था कि मीरा दी का मेरी सफलता में काफी योगदान रहा है। वह मेरी तकनीक, मेरी ट्रेनिंग को लेकर हमेशा मेरी मदद करने को तैयार रहती हैं।

उन्होंने कहा कि मैं जब कैम्प में नई थी तो उन्होंने ये बात सुनिश्चित की कि वह अच्छे से सैटल हो जाऊं। उनको पता था कि मेरे पास जूते खरीदने के पैसे नहीं हैं लेकिन उन्होंने मुझे अपने जूते देने से पहले एक बार भी नहीं सोचा और दे दिए। वह हमेशा से प्ररेणा रही हैं और जमीन से जुड़े रहने वाला व्यवहार के कारण ही मैं उनकी सबसे बड़ी फैन हूं।

 

 

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First published on: Apr 15, 2021 10:04 PM

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