नई दिल्ली: क्रिकेट…वो करियर जिसके लिए करोड़ों बच्चे सपना देखते हैं, लेकिन मुकाम कुछ को ही हासिल हो पाता है। हर मां-बाप की तरह भारतीय गेंदबाज मोहम्मद सिराज के पेरेंट्स को भी इसी बात की चिंता थी कि उनका बेटा बड़ा होकर क्या बनेगा। सिराज के बड़े भाई इंजीनियर हैं। ऐसे में उनकी मां हमेशा चिंता करतीं कि उनके छोटे बेटे का भविष्य क्या होगा, लेकिन आज सिराज जिस मुकाम पर हैं, उसे देख देश गौरवान्वित है।
तू कहां आवारागर्दी कर रहा है…
मैदान पर एग्रेसिव दिखने वाले सिराज ने नर्म अंदाज में पर्सनल लाइफ को लेकर कई खुलासे किए। गौरव कपूर के साथ ‘ब्रेकफास्ट विद चैंपियंस’ में सिराज ने कहा- मैं अक्सर कॉलेज से बंक मारकर खेलने चला जाता। तब मम्मी कहती थी कि बड़ा भाई इंजीनियर है, तू कहां आवारागर्दी कर रहा है। पढ़ाई कर ले, वर्ना मुझसे मत कहना कि बड़े भाई को तो इंजीनियर बना दिया और मुझे नहीं पढ़ाया। सिराज ने आगे कहा कि मुझे पापा का बहुत सपोर्ट मिला। जब वे घर आते थे तब ही मैं जाता था, वर्ना बाहर ही रहता। 2013 तक मम्मी मुझे ये बात बोलती रहीं। मैं 2016 में रणजी खेला। तब तक मैं हैदराबाद में लीग खेल रहा था। मामा के क्लब के लिए खेलते हुए मैंने पहले मैच में 9 विकेट लिए। इसके बाद मामा भी खुश और मम्मी भी खुश। मामा ने मुझे 500 रुपये का इनाम दिया।
प्लेटिना में 40 का पेट्रोल डलवाता
सिराज ने आगे कहा- पापा ऑटो चलाकर रोजाना मुझे 100 रुपये देते थे। उसमें से प्लेटिना में 40 का पेट्रोल डलवाता। उसे भी मुझे धक्का मारकर स्टार्ट करना होता। जब मैं प्रैक्टि्स के लिए जाता तो वहां महंगी कारें आतीं, जब वो चली जातीं तो बाइक में धक्का मारकर स्टार्ट करता। मैंने 16 की उम्र में फास्ट बॉलिंग शुरू की, 19 की उम्र तक टेनिस बॉल से खेलता रहा।
100 रुपये में जूता कहां आता
100 रुपये में जूता कहां आता, इसलिए मैं चप्पल पहनकर ही खेलता। मैंने एक टूर्नामेंट में पहली बार स्पाइक वाले जूते पहने। वहां पहली बार रेड बॉल से खेला। मुझे इनस्विंग, आउटस्विंग नहीं पता थी। पहले ही मैच में मैंने अपनी पेस से बीट किया और 5 विकेट चटका डाले। इसके बाद अंडर 23 में मेरा सलेक्शन हो गया, लेकिन यहां एक झटका लगा, जब मुझे डेंगू हो गया। यदि मैं एडमिट नहीं हुआ होता तो मर भी सकता था।
रातोंरात डेंगू हो गया ठीक
मैं प्रैक्टिस के लिए खूब बहाने बनाता था। जब मुझे कॉल आया तो मैंने कहा कि मुझे डेंगू हो गया है, लेकिन पता चला कि नहीं गया तो मौका चूक जाऊंगा। मैं सुबह 5 बजे जागा और पापा से कहा कि चलो प्रैक्टि्स पर चलेंगे। पापा बोले- तू बॉल डाल लेगा? मैंने कहा- हां, चलते हैं। मैंने उस टाइम बॉलिंग, बैटिंग, फील्डिंग सब की। पता ही नहीं चल रहा था कि मुझे डेंगू भी है। कोई चमत्कार ही हुआ कि जब मैं चेकअप कराने गया तो डेंगू दूर हो चुका था। रातोंरात ये कैसे ठीक हुआ, ये आज तक मेरे समझ नहीं आया। शायद मम्मी-पापा की दुआओं का असर था।
टोली चौकी में विराट कोहली आया है
सिराज ने इस दौरान एक मजेदार किस्सा सुनाते हुए कहा- जब मैं पहली बार आईपीएल में चुना गया, तो मैंने तय किया कि मैं अपने परिवार को खुश करने के लिए एक घर खरीदूंगा। मैंने विराट भैया और टीम को अपने नए घर में भी बुलाया। शुरू में उन्होंने कहा कि पीठ में ऐंठन है और वह नहीं आ पाएंगे, लेकिन जब मैंने दरवाजा खोला और विराट भैया सामने थे। मैं इतना खुश हुआ कि मैं उनकी ओर दौड़ा और गले लगा लिया। मैंने सबसे कहा टोली चौकी में विराट कोहली आया है।