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‘लोग पीठ पीछे बातें करते हैं…’, अश्विन के बाद पृथ्वी शॉ का छलका दर्द

नई दिल्ली: हाल ही टीम इंडिया के स्टार गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन ने कहा था कि टीम में पहले सभी दोस्त की तरह रहते थे, लेकिन अब ऐसी स्थिति नहीं है। ये ऐसा समय है जब सभी सहयोगी हैं। एक समय जब क्रिकेट खेला जाता था तो सभी टीममेट दोस्त हुआ करते थे। अब सभी सहयोगी […]

Edited By : Pushpendra Sharma | Updated: Jul 18, 2023 23:17
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Prithvi Shaw
Prithvi Shaw

नई दिल्ली: हाल ही टीम इंडिया के स्टार गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन ने कहा था कि टीम में पहले सभी दोस्त की तरह रहते थे, लेकिन अब ऐसी स्थिति नहीं है। ये ऐसा समय है जब सभी सहयोगी हैं। एक समय जब क्रिकेट खेला जाता था तो सभी टीममेट दोस्त हुआ करते थे। अब सभी सहयोगी हैं। इसमें बड़ा अंतर है क्योंकि यहां लोग खुद को आगे बढ़ाने और आपके दाएं या बाएं बैठे व्यक्ति से आगे निकलने के लिए हैं। अश्विन के इस बयान ने सुर्खियां बटोरी थीं कि अब पृथ्वी शॉ ने भी इसी तरह का बयान देकर चर्चा बटोर ली है।

कभी भी किसी के सामने खुलकर बात नहीं की

शॉ ने खुलासा किया है कि खिलाड़ी हर किसी से बात करते हैं, लेकिन उनके जीवन में क्या हो रहा है, इसके बारे में वे शायद ही एक-दूसरे के साथ खुलकर बात करते हैं। क्रिकबज के साथ इंटरव्यू में शॉ से पूछा गया कि वह अपने करियर के कठिन दौर के बारे में टीम में किस खिलाड़ी से खुलकर बात करते हैं। दिल्ली कैपिटल्स के बल्लेबाज ने खुलासा किया कि उन्होंने कभी भी किसी के सामने खुलकर बात नहीं की है।

खुलकर… शायद ही

शॉ ने कहा- “हर कोई एक-दूसरे से बात करता है। लेकिन खुलकर… शायद ही। कम से कम, मैंने कभी किसी से खुलकर बात नहीं की है। हां, सारी मजाक-मस्ती होती रहती है, लेकिन व्यक्तिगत स्थान व्यक्तिगत हुआ करता था।” जब शॉ से उस व्यक्ति के बारे में पूछा गया कि आप किससे बात करना पसंद करते हैं तो उन्होंने अपने पिता और अपने कोच को अपने पसंदीदा लोगों में चुना।

ऐसा एक बार नहीं, कई बार हो चुका है

उन्होंने कहा- मैं अपने पिता से बात करता रहता हूं। अगर यह क्रिकेट के बारे में है, तो मैं अपने कोच प्रशांत शेट्टी से संपर्क करता हूं। आजकल मैंने अपनी बात लोगों के साथ शेयर करना बंद कर दिया है। मैं यह सब अपने अंदर ही रखता हूं। शॉ ने आगे कहा- मैं बातें खुलकर कहता हूं। पहले जब कोई मुझसे अच्छे से बात करता था तो मैं आसानी से खुल जाता था। बाद में मुझे पता चला कि कोई मेरी पीठ पीछे भी यही बातें कह रहा है। ऐसा एक बार नहीं, कई बार हो चुका है, लेकिन अब मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं समझ गया कि यह दुनिया अलग तरह से काम करती है।

शॉ ने आगे कहा- मुझे लगता है कि सबसे अच्छे दोस्त की अवधारणा हमने बनाई है। वह मेरा सबसे अच्छा दोस्त है’। एक ‘दोस्त’ ठीक है, लेकिन ऐसा कोई ‘सबसे अच्छा दोस्त’ नहीं है। मेरे भी दोस्त हैं, मैं भी किसी का एक दोस्त हूं।” लेकिन सबसे अच्छा दोस्त – आप उनके साथ सब कुछ साझा नहीं करेंगे। आप उन्हें अपना एटीएम पिन नहीं देंगे, है ना?

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Written By

Pushpendra Sharma

First published on: Jul 18, 2023 11:17 PM

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