नई दिल्ली: बांग्लादेश के ऑलराउंडर मेहदी हसन मिराज रविवार को हीरो बन गए। भारत के खिलाफ पहले वनडे मुकाबले में उन्होंने अपनी टीम को एक विकेट से रोमांचक जीत दिलाई। भारतीय बॉलर और फील्डर्स को जीत के लिए सिर्फ एक विकेट की जरूरत थी।
मेहदी के साथ दूसरे छोर पर 11वें नंबर पर बल्लेबाजी करने आए मुस्तफिजुर रहमान थे, जिनका बल्लेबाजी औसत सिर्फ 6.30 था। बांग्लादेश को जीत के लिए 51 रन चाहिए थे। सभी को लगने लगा कि बांग्लादेश मैच हार जाएगा। खचाखच भरी भीड़ का एक हिस्सा स्टेडियम से जा चुका था, लेकिन मेहदी और रहमान ने मिलकर बांग्लादेश को ढाका में भारत के खिलाफ बड़ी जीत दिला दी। मैच के बाद मेहदी हसन का बयान सामने आया है। मेहदी का कहना है कि उन्होंने विश्वास करना कभी बंद नहीं किया।
औरपढ़िए -Pak vs Eng: पाकिस्तान के इस गेंदबाज ने डेब्यू मैच में ही बनाया शर्मनाक Record, टूट गया 113 साल पुराना रिकॉर्ड
करो या मरो की स्थिति
मेहदी ने कहा- "हो सकता है कि लोग मुझे पागल कहें, लेकिन मुझे पूरा विश्वास था कि हम जीत सकते हैं।" "मैंने केवल मैच जीतने पर ध्यान लगाया। मैं खुद से कहता रहा कि मैं यह कर सकता हूं। मैंने सोचा कि मैं इबादत के साथ 15 रन बनाऊंगा, हसन महमूद के साथ 20 रन और मुस्ताफिज के साथ शेष 15-20 रन, लेकिन दो विकेट गिरने के बाद आखिरी विकेट शेष रहने के कारण करो या मरो की स्थिति बन गई।
मुस्तफिजुर ने मुझसे कहा- तुम मेरी चिंता मत करो
मेहदी ने दूसरे छोर पर डटे मुस्तफिजुर रहमान से हुई बातचीत का खुलासा कर बताया कि मुस्तफिजुर ने मुझसे कहा- 'तुम मेरी चिंता मत करो। मैं अपने अंत में गेंद को रोकूंगा। मैं शरीर पर गेंद लूंगा, लेकिन मैं आउट नहीं होऊंगा।' यह बात तब हुई जब 41वें ओवर में उन्होंने कुलदीप सेन को दो छक्के जड़ दिए। मेहदी ने कहा- 'अगर मैं सोचाता कि हम हार जाएंगे या बाकी रन नहीं बना पाएंगे, तो काम नहीं करता।' "यह निश्चित रूप से करो या मरो की स्थिति थी। हिट करने की कोशिश में आउट होने में कोई दिक्कत नहीं थी। जब हमें 50 रनों की जरूरत थी, तो मैंने चांस लिया और यह काम आया।"
औरपढ़िए -IND vs BAN: ‘टीम ने मुझे विकेटकीपिंग के लिए तैयार रहने को कहा है’ मैच के बाद KL Rahul ने किया बड़ा खुलासा
मुस्तफिजुर मुझे प्रोत्साहित करते रहे
मेहदी ने आगे कहा- जब हमें 14 या 10 रनों की जरूरत थी, तब मैं उत्साहित हो गया। हमने कई करीबी मैच गंवाए हैं, लेकिन मुस्तफिजुर मुझे प्रोत्साहित करते रहे। उन्होंने मुझसे कहा, 'जल्दी मत करो, छक्का मारने की कोशिश मत करो। आप मैदान के साथ बल्लेबाजी करते हैं, हम रन बनाएंगे। मैं अपने गेम प्लान को लेकर बहुत स्पष्ट था। मुझे पता था कि मैं क्या करना चाहता हूं। मुझे लगता है कि इससे भी मदद मिली।"
मेहदी ने कहा, 'मुस्तफिज मेरे अच्छे दोस्त हैं। "उन्होंने मेरा बहुत समर्थन किया। एक चीज जो सबसे अलग थी, वह थी उनका आत्मविश्वास। वह मुझसे कहते रहे, तुम मेरी चिंता मत करो। मैं अपने छोर पर गेंद को रोकूंगा। मैं शरीर पर गेंद लूंगा। उनका आत्मविश्वास मुझ पर टूट पड़ा। वह मुझे अपनी चिंता न करने के लिए कहता रहा।
औरपढ़िए -खेलसेजुड़ीखबरेंयहाँपढ़ें