Chandrayaan 3 के जरिए ISRO रचेगा नया इतिहास, जानिए क्यों खास है यह मिशन
Chandrayaan 3: चंद्रयान की विफलता के चार वर्ष बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक बार फिर से नई उड़ान भरने के लिए तैयार हैं। इसरो 14 जुलाई 2023 (शुक्रवार) को अपना चन्द्रयान-3 लॉन्च करेगा। मिशन के तहत चंद्रयान के जरिए एक रोवर को चन्द्रमा के अंधेरे हिस्से में उतारा जाएगा। ऐसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा जो चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक अपना अंतरिक्ष यान लैंड करवा सकेगा। मिशन के लिए उल्टी गिनती आज शाम से श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र पर शुरु हो जाएगी। इस संबंध में इसरो ने एक ट्वीट भी किया है।
क्या है चंद्रयान मिशन
भारत ने पहले भी चंद्रमा पर एक रोवर और एक ऑर्बिटर भेजा था। इस मिशन के चंद्रयान-2 नाम दिया गया था। इसमें लैंडिंग विफल हो गई थी हालांकि ऑर्बिटर सैटेलाइट अभी भी काम कर रहा है और उसके जरिए चंद्रमा से जुड़ी काफी जानकारी एकत्रित की गई है। इस बार चंद्रयान-3 मिशन में इस बार एक लैंडर और रोवर को भेजा जा रहा है। जा रहा है। लेकिन चंद्रयान-2 की तरह इस बार ऑर्बिटर नहीं जा रहा है। बल्कि रोवर के जरिए ही पूरी जानकारी जुटाने का प्रयास किया जाएगा।
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यह रहेगा Chandrayaan 3 मिशन का पूरा शेड्यूल
इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 14 जुलाई को दोपहर 2.35 बजे यान उड़ान भरेगा। लगभग 16 मिनट बाद रॉकेट का प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग हो जाएगा और 170 डिग्री के साथ यान अंडाकार कक्षा में 5 से 6 बार पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। इसके बाद वह लगातार गति आगे बढ़ता हुआ चन्द्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा।
इस टास्क को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद यान में मौजूद लैंडर मॉड्यूल को चन्द्रमा के दक्षिण ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए उतारने की तैयारी शुरु कर दी जाएगी और संभवतया 23-24 अगस्त को लैंडर चन्द्रमा पर उतर जाएगा।
चन्द्रमा की सतह पर पहुंच कर करेगा ये काम
चंद्रयान-3 चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के बाद लैंडर का उपयोग करके चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग करेगा। चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद लैंडर मॉड्यूल से बाहर आएगा और अपने पेलोड APXS - अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर के माध्यम से चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेगा। इसके माध्यम से ग्रह की रासायनिक संरचना को जांचा और परखा जा सकेगा। प्राप्त की जा सके और चंद्रमा की समझ को और बढ़ाने के लिए खनिज संरचना का अनुमान लगाया जा सके।
इस रोवर के जरिए चन्द्रमा पर पड़ने वाली रोशनी, रेडिएशन, मून की थर्मल कंडक्टिविटी और तापमान की स्टडी की जाएगी। इसके साथ ही लैंडिंग साइट के आसपास होने वाली भूकंपीय गतिविधियों का भी अध्ययन किया जाएगा। चन्द्रमा की सतह पर प्लाज्मा के घनत्व और उसमें हुए बदलावों को भी इस मिशन के जरिए समझने का प्रयास किया जाएगा।
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भारत के लिए इसलिए है महत्वपूर्ण
पूरे विश्व में भारत को एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति माना जाता है। हालांकि अभी तक भारत ने किसी भी उपग्रह या ग्रह पर अपना रोवर लैंड नहीं करवाया है। चंद्रयान-3 इसी दिशा में एक कदम है। यदि यह पूरा मिशन कामयाब होता है तो अमरीका, रुस और चीन के बाद ऐसा करने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा।
रितु कारिधाल के हाथों में होगी Chandrayaan 3 मिशन की बागडोर
भारत के इस अतिमहत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को खगोल वैज्ञानिक रितु कारिधाल लीड कर रही है। उन्होंने फिजिक्स में M.Sc. और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में M.Tech. किया हुआ है। वर्ष 1997 से रितु इसरो में वैज्ञानिक के रुप में काम कर रही है। उन्हें वर्ष 2007 में इसरो युवा वैज्ञानिक का पुरस्कार भी मिल चुका है। चंद्रयान-3 से पहले वह चंद्रयान-2 मिशन पर भी काम कर चुकी हैं।
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