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Chandryaan 3 चंद्रमा से सिर्फ 25 किमी दूर, खुलेंगे 4.56 अरब साल के कई राज

Chandryan 3 Latest Update: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा 14 जुलाई को लॉन्च चंद्रयान-3 धीरे-धीरे अपने मिशन की ओर बढ़ रहा है। चंद्रमा की सतह पर उतरने के क्रम में ताजा प्रगति यह है कि इसरो ने रविवार तड़के दो बजे के बाद अंतिम डिबूस्टिंग कराई है, जिसके बाद विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह […]

Chandryan 3 Latest Update
Chandryan 3 Latest Update: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा 14 जुलाई को लॉन्च चंद्रयान-3 धीरे-धीरे अपने मिशन की ओर बढ़ रहा है। चंद्रमा की सतह पर उतरने के क्रम में ताजा प्रगति यह है कि इसरो ने रविवार तड़के दो बजे के बाद अंतिम डिबूस्टिंग कराई है, जिसके बाद विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से सिर्फ 25 किलोमीटर दूर रह गया है। डिबूस्टिंग के बाद विक्रम लैंडर की गति कम हो गई है, जिसके बाद वह चंद्रमा की सतह पर आसानी से उतरेगा।

चंद्रमा की सतह की खुदाई करेगा रोवर

यहां पर बता दें कि इसरो अपने इस मिशन के जरिए चंद्रमा की सतह पर पानी होने या फिर नहीं होने का सच पता लगाएगा। सबसे बड़ी बात कि इस मिशन के जरिये यह जानने का भी प्रयास होगा कि चांद की सतह पर भूकंप कैसे आते हैं? इसके अलावा भी चंद्रयान-3 के जरिये कई खोजे और रिसर्च करने की तैयारी है, जिसकी भविष्य में उपयोगिता हो। इतना रोवर भी चंद्रमा की खनिज संरचना को समझने के लिए सतह की खुदाई करेगा।

पांच करोड़ वर्ष पुराना है चांद

यहां पर बता दें कि कुछ वर्षों पहले चांद की उम्र को लेकर एक नया अध्ययन सामने आया था, जिसमें दावा किया गया था कि सौर प्रणाली के अस्तित्व में आने के करीब पांच करोड़ साल बाद चंद्रमा बना था। पूर्व में यह अनुमान जताया गया था कि सौर प्रणाली के बनने के करीब 15 करोड़ साल बाद चांद अस्तित्व में आया था। दरअसल, चांद को 4.56 अरब साल पुराना बताया जाता है। उधर, जर्मनी की कोलोन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया कि सौर प्रणाली का निर्माण करीब 4.56 अरब साल पहले हुआ था, जबकि चंद्रमा 4.51 अरब साल पहले बना था।   इसरो द्वारा अपने ट्वीटर हैंडल पर मुहैया कराई गई ताजा जानकारी के मुताबिक, दूसरे और अंतिम डिबूस्टिंग ऑपरेशन ने लैंडर मॉड्यूल (एलएम) की दूरी घटा दी है। अब विक्रम लैंडर चंद्रमा से 25 किमी दूर है। मिली जानकारी के अनुसार, दूसरे डिबूस्टिंग ऑपरेशन (रफ्तार कम करने की प्रक्रिया) के बाद अब अब बस 23 को सफल लैंडिंग का इंतजार है।

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यहां पर बता दें कि इससे पहले पिछले सप्ताह 18 अगस्त को डिबूस्टिंग की पहली प्रक्रिया की गई थी। इसके जरिये विक्रम लैंडर की गति को कम किया गया था और रविवार को तड़के दूसरी बार इसकी गति और कम की गई। इस पूरी प्रक्रिया को डिबूस्टिंग कहा जाता है। सबकुछ ठीक रहा तो आगामी 23 भारतीय समय के अनुसार, विक्रम लैंडर सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर उतरेगा।
यहां पर बता दें कि इसरो को चंद्रयान-3 मिशन के कामयाब होने की पूरी उम्मीद है। इससे पहले चंद्रयान-2 तकनीकी कारणों से असफल रहा। ऐसे में चंद्रयान-3 की सफलता से इसरो के वैज्ञानिकों का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
 

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