हर एक व्यक्ति चाहता है कि वो हमेशा खुश रहे। उसका परिवार उसके साथ रहे। जब उसके जीवन में परेशानियां आएं तो उसका परिवार उसके साथ खड़ा रहे। हालांकि कई बार रिश्तों में ऐसी गांठ पड़ जाती है, जिसे सुलझाना बहुत मुश्किल होता है। तमाम प्रयास करने के बाद भी रिश्तों में आई दूरियां खत्म नहीं होती हैं। हालांकि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिसमें से एक ग्रह दोष भी है।
शास्त्रों की मानें तो रिश्तों का बनना और बिगड़ना ग्रहों के शुभ और अशुभ प्रभाव पर निर्भर करता है। जिन लोगों की कुंडली में ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है, वो हर समय खुश रहते हैं। खासकर उनके रिश्ते मजबूत रहते हैं। वहीं जब व्यक्ति ग्रह दोष का सामना करता है तो सबसे पहले असर उसके रिश्तों पर ही पड़ता है। आज हम आपको उस ग्रह के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके कमजोर होने पर पिता-पुत्र व पिता-पुत्री के रिश्ते पर असर पड़ता है।
किस ग्रह के कारण रिश्ता होता है खराब?
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों के राजा सूर्य को पितृ (पिता) का कारक ग्रह माना गया है। यदि जन्म कुंडली में सूर्य ग्रह सही स्थान पर विराजमान होता है तो उसका सकारात्मक प्रभाव पिता-पुत्र और पिता-पुत्री के रिश्ते पर पड़ता है। वहीं जब सूर्य की स्थिति कमजोर होती है तो सबसे पहले पिता और बच्चों के रिश्ते में दूरियां आती हैं। इसलिए कहा जाता है कि यदि आपकी अपने पिता से लड़ाई चल रही है या बातचीत बंद है तो ऐसी परिस्थिति में सूर्य देव यानी सूर्य ग्रह की उपासना करनी चाहिए।
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