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Mankameshwar Mandir: कृष्ण को लेकर पूरी हुई थी भोलेनाथ की कामना, स्थापित किया था शिवलिंग, नाम दिया मन:कामेश्वर मंदिर

Mankameshwar Mandir: हर मंदिर का अपना इतिहास और धार्मिक महत्व होता है, जो भक्तों की गहरी आस्था से जुड़ा होता है। आज हम आपको ताजमहल के लिए प्रसिद्ध आगरा नगरी में स्थित एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां स्थापित शिवलिंग की स्थापना स्वयं भोलेनाथ ने द्वापर युग में की थी।

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Mankameshwar Mandir, Agra Uttar Pradesh: देशभर में भगवान शिव को समर्पित अनेक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर स्थित हैं, जिनमें से कई का इतिहास सतयुग, त्रेतायुग और द्वापर युग से जुड़ा हुआ है। आज हम आपको आगरा में स्थित एक ऐसे अद्भुत शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी स्थापना स्वयं भगवान भोलेनाथ ने की थी। कहा जाता है कि कृष्ण जी को लेकर भोलेनाथ की एक कामना पूरी हुई थी, जिसके बाद उन्होंने खुद यहां पर शिवलिंग की स्थापना की थी।

मनःकामेश्वर मंदिर का महत्व

उत्तर प्रदेश के आगरा के रावतपारा क्षेत्र में मनःकामेश्वर नामक मंदिर स्थित है। इस मंदिर में मनकामेश्वर शिव, सिद्धेश्वर महादेव और ऋणमुक्तेश्वर महादेव और बजरंगबली की दक्षिणमुखी मूर्ति विराजमान है, जिनकी रोजाना पूरी विधि से पूजा-अर्चना की जाती है। खासकर सावन में मनकामेश्वर शिव का श्रृंगार किया जाता है और विभिन्न पूजा सामग्री उन्हें अर्पित की जाती है। इसके अलावा मंदिर के गर्भ गृह में 11 अखंड जोत निरंतर जलती रहती हैं। 12 माह यहां पर भक्तों की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिलती है। देश के कोने-कोने से भक्तजन जहां पर बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं। माना जाता है कि मनःकामेश्वर मंदिर में दर्शन करने मात्र से हर इच्छा पूरी होती है।

कृष्ण जी को बाल रूप में देखना चाहते थे भोलनेथा

पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में भगवान विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। कृष्ण जी के बाल रूप के दर्शन करने के लिए सभी देवी-देवता मथुरा जा रहे थे। ये देख भगवान शिव भी कैलाश से धरती पर जाने के लिए रवाना हो गए। शिव जी पैदल चलकर ही कृष्ण जी से मिलने जा रहे थे। चलते-चलते रात हो गई और वो एक जगह पर साधना करने के लिए रुक गए। ये भी पढ़ें- Siddheshwari Mandir: यहां एक साथ हैं महादेव के 5 मंदिर, तीन स्वरूपों में देते हैं दर्शन
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शिव जी को देख डर गई थी यशोदा मैया

उन्होंने प्रण लिया कि यदि वह कृष्ण जी को अपनी गोद में खिला पाए तो यहां वापस आपक एक शिवलिंग की स्थापना करेंगे। भोलनेनाथ जब गोकुल पहुंचे तो यशोदा मैया उनके भस्म-भभूत और जटा-जूटधारी रूप को देखकर डर गई और कृष्ण जी को उन्हें देने से मना कर दिया। ये सुन शिव जी निराश हो गए और एक बरगद के पेड़ के नीचे ध्यान लगाने के लिए बैठ गए। लेकिन कृष्ण जी को शिव जी की उपस्थिति का आभास हो गया था। कृष्ण जी ने अपनी लीला शुरू कर दी और रोते-रोते शिव की तरफ इशारा करने लगे। ये देख देवी यशोदा ने शिव जी को बुलाया और कान्हा को उनकी गोद में दे दिया। शिव जी की गोद में आते ही कृष्ण जी चुप हो गए।

स्वयं शिव जी ने की थी स्थापना

कैलाश जाने से पहले शिव जी उसी जगह पर गए और वहां पर शिवलिंग की स्थापना की और कहा कि जिस तरह यहां मेरे मन की कामना पूरी हुई, उसी तरह यहां आने वाले मेरे हर भक्त की मनोकामना पूरी होगी। साथ ही मंदिर का नाम मन:कामेश्वर मंदिर रख दिया। ये भी पढ़ें- Kailash Mandir: आगरा के इस मंदिर में जुड़वा शिवलिंग की होती है पूजा, भगवान परशुराम से जुड़ी है मान्यता डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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