भारत एक ऐसा देश है जहां हर कदम पर इतिहास और पौराणिकता के किस्से बिखरे पड़े हैं। आमतौर पर हम सोचते हैं कि शहरों के नाम देवी-देवताओं, ऋषि-मुनियों या प्राकृतिक विशेषताओं पर रखे जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ ऐसे भी शहर हैं जिनका नाम कभी दानवों और राक्षसों के नाम पर पड़ा था? ये नाम सिर्फ़ कहानियां नहीं हैं, बल्कि गहराई से जुड़ी हुईं हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं से भी ताल्लुक रखती हैं। आइए जानते हैं भारत के 7 अजब शहरों के बारे में, जो राक्षसों के नाम से जुड़े हैं और जिनमें से एक शहर को ‘मोक्षनगरी’ भी कहा जाता है।
जालंधर (Jalandhar)
पंजाब का प्राचीन शहर जालंधर कभी दानव जालंधर की राजधानी हुआ करता था। कथा के अनुसार, जालंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ था और इतना शक्तिशाली था कि देवता भी उसे मार नहीं सकते थे। अंततः भगवान विष्णु ने उसकी पत्नी वृंदा की तपस्या को भंग करके भगवान शिव से उसका वध करवा दिया। यही नहीं, कुछ मान्यताएं इसे भगवान राम के पुत्र लव की राजधानी भी मानती हैं।
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कुल्लू घाटी (Kullu)
हिमाचल प्रदेश की यह खूबसूरत घाटी पहले कुलान्तपीठ के नाम से जानी जाती थी। मान्यता है कि कुलान्त नामक दानव ने ब्यास नदी को रोककर पूरी दुनिया को डुबाने की कोशिश की। भगवान शिव ने उसका वध कर दिया और उसका शरीर पर्वत बन गया, जो आज की कुल्लू घाटी है।
मैसूर (Mysore)
कर्नाटक का मैसूर शहर पहले महिष-उरु कहलाता था, जिसका मतलब है– महिषासुर का शहर या राजधानी। यह वही दानव है जिसे देवी मां दुर्गा के चामुंडेश्वरी रूप ने मार गिराया था। आज भी मैसूर के चामुंडी हिल्स पर देवी का भव्य मंदिर है और दशहरे पर यहां खास आयोजन होता है।
तिरुचिरापल्ली (Tiruchirappalli)
तमिलनाडु का यह शहर पहले तिरिसिरपुरम कहलाता था। तिरिसिरन नामक एक राक्षस ने यहां भगवान शिव की घोर तपस्या की थी। उसके नाम पर इस शहर का नाम पड़ा जो कालांतर में तिरुचिरापल्ली बन गया। आज इसे लोग प्यार से ‘त्रिची’ भी कहते हैं।
सुद्धमहादेव (Sudhmahadev)
जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में स्थित सुद्धमहादेव, सुधनथा नामक राक्षस की कथा से जुड़ा है। हालांकि वह भगवान शिव का भक्त था, लेकिन एक बार उसने माता पार्वती को डराया। तब शिव ने त्रिशूल से उसका वध किया। लेकिन बाद में उसकी भक्ति को देख भगवान शंकर ने उसे दर्शन भी दिए। उसने अपने नाम के साथ भगवान शंकर का नाम जोड़ने का वरदान मांगा। इस प्रकार इस स्थान का नाम सुद्धमहादेव रखा गया।
गया (Gaya)
बिहार का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल गया, गयासुर नामक एक असुर के नाम पर पड़ा है। गयासुर ने इतनी तपस्या की कि उसे स्पर्श करने से भी पाप मिट जाते थे। देवता चिंतित हो गए और भगवान विष्णु ने यज्ञ के लिए उससे उसका शरीर मांगा। गयासुर ने सहर्ष दे दिया और उसी स्थान पर आज गया नगर बसा है। यही कारण है कि गया पितृ तर्पण और मोक्ष के लिए अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है।
पलवल (Palwal)
हरियाणा का पलवल कभी पलम्बासुरपुर कहलाता था। पलम्बासुर नामक राक्षस का अंत भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम ने किया था। आज भी यहां बलदेव छठ का मेला लगता है, जो इस ऐतिहासिक घटना की याद दिलाता है।
गयाजी: मोक्ष की राह का द्वार
इन सभी स्थानों में सबसे विशेष स्थान है गया, जिसे मोक्षभूमि कहा जाता है। यहां पिंडदान और पितृ तर्पण की परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है। लोग यहां अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए आते हैं। गयासुर का बलिदान ही इस भूमि को इतना पावन बनाता है। वर्तमान में इस नगर को गयाजी कहा जाता है।
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