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Sawan 2024: रहस्यों से भरा है मेंढ़क मंदिर, रंग बदलते शिवलिंग के दर्शन करने की भी है खास महिमा!

Medak Mandir Lakhimpur Kheri: देशभर में देवी-देवताओं को समर्पित कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं, जिनके रहस्यों के बारे में जानकर व्यक्ति दंग रह जाता है। आज हम आपको उत्तर प्रदेश में मौजूद एक ऐसे ही रहस्यमय मंदिर के बारे में बताने जा रहा हैं, जिससे जुड़ी मान्यताओं को जानकर आपको हैरानी जरूर होगी।

भारत का एकमात्र मेंढक मंदिर
Medak Mandir Lakhimpur Kheri: उत्तर प्रदेश में भगवान शिव को समर्पित कई प्राचीन मंदिर मौजूद हैं, जिनके दर्शन मात्र से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है। आज हम आपको उत्तर प्रदेश में मौजूद एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां सावन के दौरान हर बार बड़ी संख्या में शिव भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। धार्मिक मान्यता है कि सावन के पावन माह में इस मंदिर के दर्शन करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। चलिए विस्तार से जानते हैं रहस्यों से भरे इसी खास मेंढक मंदिर के बारे में।

मेंढक की होती है पूजा

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में ओयल नामक कस्बा है, जहां पर नर्मदेश्वर महादेव को समर्पित एक मंदिर स्थित है। इस मंदिर में भगवान महादेव मेंढक की पीठ पर विराजमान हैं। इसी वजह से इसे मेंढक मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर की सरंचना भी ऐसी की गई है कि यदि सामने से आप इस मंदिर को देखेंगे, तो आपको ऐसा लगेगा कि ये मंदिर किसी मेंढक की पीठ पर मौजूद है। यहां पर भगवान शिव, नंदी महाराज और शिवलिंग के साथ-साथ मेंढक की भी विधिपूर्वक रोजाना पूजा-अर्चना होती है। ये भी पढ़ें- Samudrik Shastra: महिलाओं के पैरों के अंगूठे पर बाल होने का क्या है संकेत? जानिए

देश का एकमात्र मेंढक मंदिर

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आज से 200 साल पहले इस मंदिर का निर्माण हुआ था। कहा जाता है कि इस मंदिर को वास्तु के आधार पर एक महान तांत्रिक ने बनाया था। मंदिर की दीवारों पर श्लोक, शास्त्रों और तांत्रिक देवी-देवताओं की विभिन्न मूर्तियां मौजूद हैं। भारत में केवल लखीमपुर खीरी में ही एक ऐसा मंदिर है, जहां पर मेंढक की पूजा होती है। इसी वजह से इसे भारत का एकमात्र मेंढक मंदिर कहा जाता है।

शिवलिंग का बदलता है रंग

कहा जाता है कि मेंढक मंदिर में जो शिवलिंग मौजूद है, उसका अपने आप रंग बदलता है। यहां पर नंदी महाराज की बैठी हुई नहीं बल्कि खड़ी मूर्ति विराजमान है। सावन के पवित्र माह में दूर-दूर से शिव भक्त यहां पर मौजूद रहस्मयी शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। इसके अलावा मासिक शिवरात्रि और दिवाली के दौरान भी यहां पर बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।

मेंढक मंदिर कैसे जाएं?

यदि आप भी मेंढक मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो यहां पर आप सड़क के रास्ते या फिर ट्रेन और फ्लाइट दोनों से पहुंच सकते हैं। लखीमपुर जिले से ओयल कस्बे की दूरी मात्र 11 किमी है। जहां आप बस या टैक्सी दोनों से पहुंच सकते हैं। ओयल कस्बे के सबसे नजदीक लखनऊ एयरपोर्ट और लखनऊ रेलवे स्टेशन है। जहां से मंदिर के लिए आपको आसानी से टैक्सी मिल जाएगी। ये भी पढ़ें- सपने में पार्टनर, माता-पिता और बॉस से लड़ाई करते हुए देखना सही या नहीं? जानें क्या कहता है स्वप्न शास्त्र डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों पर आधारित है और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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