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Puja Path ke Niyam: घर हो मंदिर की पूजा, किन चीजों का दोबारा इस्तेमाल करें और किनका नहीं, जानें जरूरी नियम

Puja Path ke Niyam: घर की पूजा में शुद्धता सबसे बड़ा नियम है. बहुत से ये लोग यह जानना चाहते हैं कि पूजा के बाद बची वस्तुओं में क्या दोबारा उपयोग योग्य है और क्या नहीं? इनमें से कौन-सी सामग्री पुण्य बढ़ाती है और किससे बचना चाहिए? आइए जानते है, पूजा-पाठ से से जुड़े ये नियम.

Puja Path ke Niyam: घर में पूजा केवल एक कर्मकांड नहीं, बल्कि श्रद्धा, अनुशासन और शुद्धता का संगम है. प्रतिदिन या विशेष अवसर पर हम भगवान को अनेक वस्तुएं अर्पित करते हैं. पूजा के बाद कई सामग्रियां बच जाती हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि किन वस्तुओं का पुनः प्रयोग उचित माना जाता है और किन वस्तुओं से बचाव रखना चाहिए. सही जानकारी से पूजा अधिक फलदायी बनती है.

स्थायी पूजा सामग्री का महत्व

कुछ पूजा सामग्री ऐसी होती हैं, जो लंबे समय तक शुद्ध बनी रहती हैं. चांदी, पीतल और तांबे के पात्र पूजा के बाद धोकर फिर प्रयोग किए जा सकते हैं. इसी प्रकार भगवान की मूर्ति, घंटी, शंख, आसन, मंत्र जाप की माला जैसी वस्तुएं स्थायी मानी जाती हैं. इनका नियमित शुद्धिकरण जल और साफ कपड़े से करना पर्याप्त रहता है.

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भोग और अर्पित वस्तुएं

भोग के रूप में चढ़ाया गया फल, मिठाई या अन्न प्रसाद बन जाता है. इसे श्रद्धा से ग्रहण किया जाता है, पर पूजा में दोबारा अर्पण करना वर्जित माना जाता है. जल, फूल, माला, चंदन, कुमकुम, अक्षत, नारियल, धूप और दीपक में बचा घी या तेल भी पुनः पूजा में प्रयोग के योग्य नहीं माने जाते. इन वस्तुओं की पवित्रता एक बार अर्पण के साथ पूर्ण हो जाती है.

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तुलसी और बेलपत्र का विशेष नियम

तुलसी का स्थान पूजा में सबसे अलग है. तुलसी पत्र सदैव शुद्ध माने जाते हैं. आवश्यकता पड़ने पर इन्हें फिर से पूजा में रखा जा सकता है. इसी तरह बेलपत्र भी धोकर फिर से उपयोग किया जा सकता है. यह बासी नहीं होता है. ध्यान रखें कि बेलपत्र टूटा, कटा या दागदार न हो. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार बेलपत्र कई महीनों तक उपयोग योग्य रहता है.

शुद्धता बनाए रखने के सरल उपाय

पूजा से पहले हाथ और मुख धोना, साफ वस्त्र पहनना और पूजा स्थल को स्वच्छ रखना बहुत आवश्यक है. बची हुई पूजा सामग्री को नदी, पेड़ की जड़ या मिट्टी में समर्पित करना उत्तम माना जाता है. इससे प्रकृति का संतुलन भी बना रहता है.

सही नियम से बढ़ती श्रद्धा

जब पूजा सही नियमों और समझ के साथ की जाती है, तब मन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. सामग्री का सही प्रयोग न केवल परंपरा निभाता है, बल्कि श्रद्धा को भी गहराई देता है. इन सरल नियमों को अपनाकर घर की पूजा को और अधिक पवित्र और प्रभावशाली बनाया जा सकता है.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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