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Pithori Amavasya: 22 या 23 अगस्त, कब रखा जाएगा पिठोरी अमावस्या का व्रत? जानें सही तिथि और मुहूर्त

Pithori Amavasya 2025: हर साल भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को पिठोरी अमावस्या का व्रत रखा जाता है, जिसे पिठोरी अमावस, कुशाग्रहणी पिठोरी अमावस्या और भाद्रपद अमावस्या के नाम से जाना जाता है। चलिए जानते हैं वर्ष 2025 में किस दिन पिठोरी अमावस्या का व्रत रखा जाएगा।

Credit- News24 Graphics

Pithori Amavasya 2025 Vrat: सनातन धर्म के लोगों के लिए पिठोरी अमावस्या का खास महत्व है, जिस दिन व्रत रखने के साथ-साथ पूजा-पाठ किया जाता है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान, पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण किया जाता है। इसके अलावा आटे से 64 योगिनियों की प्रतिमाएं बनाई जाती हैं, जिनका पूजन होता है। 64 योगिनियों को देवी शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, जिन लोगों को 64 योगिनियों की विशेष कृपा प्राप्त होती है, उन्हें सुख, समृद्धि, धन, वैभव और सौभाग्य आदि की प्राप्ति होती है। हालांकि कुछ लोग लंबी उम्र और पितरों को खुश करने के लिए भी पिठोरी अमावस्या का व्रत रखते हैं। साल 2025 में पिठोरी अमावस्या की सही तिथि को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। आइए जानते हैं 2025 में 22 अगस्त या 23 अगस्त, किस दिन पिठोरी अमावस्या का व्रत रखा जाएगा।

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पिठोरी अमावस्या 2025 में कब है?

द्रिक पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में 22 अगस्त की सुबह 11 बजकर 55 मिनट से लेकर 23 अगस्त की सुबह 11 बजकर 35 मिनट तक भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर 22 अगस्त 2025, वार शुक्रवार को पिठोरी अमावस्या का व्रत रखा जाएगा। बता दें कि देश के कई राज्यों में पिठोरी अमावस्या को पिठोरी अमावस, कुशाग्रहणी पिठोरी अमावस्या और भाद्रपद अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।

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पिठोरी अमावस्या की पूजा का शुभ मुहूर्त

  • सूर्योदय- सुबह 05:54
  • ब्रह्म मुहूर्त- सुबह में 04:26 से 05:10
  • अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:58 से दोपहर 12:50
  • प्रदोष मुहूर्त- शाम 06:53 से रात 09:06
  • सायाह्न सन्ध्या- शाम 06:53 से रात 08 बजे

पिठोरी अमावस्या की पूजा विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त से पहले उठें।
  • स्नान आदि कार्य करने के बाद शुद्ध लाल या पीले रंग के कपड़े धारण करें।
  • सूर्य देव को जल अर्पित करें।
  • पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करें।
  • गंगा के समीप घी का एक दीप जलाएं।
  • हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें।
  • आटे से 64 योगिनियों की प्रतिमाएं बनाएं और उनकी पूजा करें।
  • पिठोरी अमावस्या की कथा पढ़ें या सुनें।
  • व्रत का पारण करने से पहले दान करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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