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Navratri 2024: माता दुर्गा के आठ ही हाथ क्यों होते हैं? जानिए माता के अष्ट भुजाओं का रहस्य

Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि की 3 अक्टूबर से शुरुआत हो गई है। नवरात्रि में माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में माता दुर्गा को अष्टभुजाधारी कहा गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं माता दुर्गा के आठ हाथ ही क्यों हैं? आइए जानते हैं शास्त्र इसके बारे में क्या कहते हैं?

Navratri 2024: हिन्दू धर्म में माता दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। मंदिरों या पूजा पंडालों में माता की आठ हाथों वाली प्रतिमा ही दिखाई देती है। आठ भुजाओं के कारण ही माता को अष्ट भुजाधारी भी कहा जाता है। चलिए जानते हैं माता की आठ भुजाएं किस का प्रतीक है और माता अष्टभुजाधारी ही क्यों हैं ?

आठ हाथ ही क्यों?

शास्त्रों के अनुसार माता की 8 भुजाएं आठ दिशाओं का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि सभी आठ दिशाओं से माता दुर्गा अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। गीता में भी भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि प्रकृति ही मेरा शरीर है जिसके आठ अंग होते हैं। प्रकृति को अष्टधा कहा गया है। सृष्टि सृजन के समय जब प्रकृति की नारी रूप में कल्पना की गई तो उसे पांच गुण और तीन तत्व दिए गए। यही पांच गुण और तीन तत्व आठ हाथ बन गए। ऐसी मान्यता है कि अष्टधा प्रकृति ही हम सब की माता हैं। हम सब इन से ही उत्पन्न हुए हैं। उमा अर्थात उत्पन्न करने वाली माता का एक रूप देवी दुर्गा हैं। इसलिए माता दुर्गा के आठ ही हाथ हैं। चलिए अब जानते हैं माता के आठ हाथों में मौजूद अस्त्र-शस्त्र का क्या महत्त्व है।

त्रिशूल

माता के हाथ में मौजूद त्रिशूल प्रकृति के तीन गुणों अर्थात सत्व, रजस और तमस गुणों के प्रतीक हैं।  त्रिशूल सृजन, संरक्षण और विनाश का प्रतिनिधित्व करता है। माता के हाथ में त्रिशूल यह दर्शाता है कि इन सभी पहलुओं पर माता दुर्गा का नियंत्रण है।

सुदर्शन चक्र 

मां दुर्गा के हाथ में स्थित सुदर्शन चक्र ब्रह्मांड की शाश्वत प्रकृति और धार्मिकता की शक्ति का प्रतीक है। सुदर्शन चक्र यह दर्शाता है कि पूरी सृष्टि उनके अधीन है और वही इस सृष्टि का संचालन भी कर रही हैं।

कमल का फूल

माता के हाथ में स्थित कमल का फूल ज्ञान और मुक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। जैसे कमल गंदे पानी में भी खिलता है फिर भी यह पवित्रता और आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक है।

तलवार

माता के हाथो में मौजूद तलवार ज्ञान और बुद्धि की तीव्रता का प्रतीक है। यह अज्ञानता और बुराई के विनाश का भी प्रतिनिधित्व करता है।

धनुष और बाण

माता के हाथ में स्थित धनुष और बाण ऊर्जा का प्रतीक हैं। एक हाथ में धनुष और बाण पकड़कर माता ऊर्जा पर अपना नियंत्रण दर्शाती हैं।

वज्र

मां दुर्गा के हाथ में स्थित वज्र, दृढ़ संकल्प का प्रतिनिधित्व करता है। जिस प्रकार वज्र किसी भी चीज को अपने प्रहार से नष्ट कर सकता है, उसी प्रकार माता दुर्गा का संकल्प अटूट है।

शंख

शंख, सृष्टि की ध्वनि और ब्रह्मांड की मूल ध्वनि यानि  'ओम' का प्रतीक है। यह पवित्रता और शुभता का भी प्रतिनिधित्व करता है।

गदा

गदा को ताकत और बुराई को नष्ट करने की शक्ति का प्रतीक माना गया है।

ढाल

माता के हाथ में स्थित ढाल, सुरक्षा का प्रतिनिधित्व करता है। माता दुर्गा अपने भक्तों को हानि से बचाने के लिए सदैव तत्पर रहती हैं।

अभय मुद्रा

अभय मुद्रा से माता अपने भक्तों को सुरक्षा और निर्भयता का आश्वासन देती हैं। ये भी पढ़ें- Navratri 2024 Special Story: महिषासुर का अंत करने के लिए कैसे हुई माता दुर्गा की उत्पत्ति? डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है


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