TrendingHaryana Assembly Election 2024Jammu Kashmir Assembly Election 2024Aaj Ka Mausam

---विज्ञापन---

Navratri 2024: मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए लड्डू-पेड़े नहीं बल्कि चढ़ता है रक्त, जानें गोरखपुर के इस मंदिर का अनोखा रिवाज

Durga Mata Mandir, Gorakhpur: माता दुर्गा को समर्पित देशभर में कई प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर स्थित हैं, जिनकी गहरी आस्था लोगों से जुड़ी हुई है। आज हम आपको गोरखपुर में मौजूद माता दुर्गा को समर्पित एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर देवी को प्रसन्न करने के लिए लड्डू या पेड़े नहीं बल्कि खून चढ़ाया जाता है।

Edited By : Nidhi Jain | Updated: Sep 27, 2024 08:07
Share :
देवी को प्रसन्न करने के लिए चढ़ता है खून

Durga Mata Mandir, Gorakhpur: सनातन धर्म के लोगों के लिए नवरात्रि के पर्व का खास महत्व है। नवरात्रि के 9 दिनों के दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूप की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही लोग व्रत रखते हैं। नवरात्रि के दौरान मंदिरों में भी भक्तों की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिलती है। आज हम आपको माता दुर्गा को समर्पित एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां लोग देवी को प्रसन्न करने के लिए लड्डू या पेड़े नहीं, बल्कि खून चढ़ाते हैं। चलिए जानते हैं गोरखपुर में स्थित इस मंदिर के अनोखे रिवाज के बारे में।

इस मंदिर में चढ़ता है खून

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के बांसगांव में मां दुर्गा का एक प्राचीन मंदिर स्थित है। जहां माता को प्रसन्न करने के लिए भक्तजन उन्हें मानव रक्त यानी खून चढ़ाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मंदिर में खून चढ़ाने की परंपरा लगभग 300 साल से चलती आ रही है। देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी माता के भक्त यहां पर खून चढ़ाने के लिए आते हैं।

ये भी पढ़ें- Papankusha Ekadashi Vrat Katha: ये पौराणिक कथा सुने बिना अधूरा है पापांकुशा एकादशी का व्रत, जानें महत्व

शरीर के 9 जगहों से निकाला जाता है खून

धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर मां दुर्गा के चरणों में रक्त चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बच्चों के अलावा युवाओं के शरीर के 9 जगहों से खून निकालकर माता को चढ़ाया जाता है।

शरीर में सबसे पहले चीरा लगाया जाता है। जहां से खून निकाला जाता है। फिर खून को बेल पत्र में इकट्ठा किया जाता है। अंत में बेल पत्र को माता के चरणों में अर्पित किया जाता है।

पहले दी जाती थी पशु की बलि 

बता दें कि पहले मंदिर में जानवरों की बलि दी जाती थी, लेकिन बाद में पशु बलि को रोकने के लिए भक्तजन ने देवी को अपना रक्त चढ़ाना शुरू कर दिया। इसके अलावा चीरा लगाने वाली जगह पर अगरबत्ती, धूप और हवन कुंड से निकलने वाली राख को लगाना शुभ माना जाता है। भक्तों का कहना है कि आज तक चीरा लगाने के बाद न तो उन्हें कोई परेशानी हुई है और न ही टिटनेस का इंजेक्शन लगाने की नौबत आई है।

ये भी पढ़ें- Papankusha Ekadashi Vrat Katha: ये पौराणिक कथा सुने बिना अधूरा है पापांकुशा एकादशी का व्रत, जानें महत्व

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

HISTORY

Written By

Nidhi Jain

First published on: Sep 27, 2024 08:07 AM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें
Exit mobile version