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Margshirsha Nag Panchami 2025: केवल सावन में नहीं, अगहन में भी मनाते है नाग पंचमी, जानें कहां, क्यों और कैसे होता है यह पर्व

Margshirsha Nag Panchami: हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार नाग पंचमी मुख्य तौर पर सावन में मनाया जाता है, लेकिन भारत के कुछ हिस्सों में यह पर्व मार्गशीर्ष यानी अगहन मास में भी मनाया जाता है. आइए जानते हैं, इस मास में कहां, क्यों और कैसे मनाते हैं यह पर्व?

Margshirsha Nag Panchami 2025: नाग पंचमी हिंदू धर्म में एक बेहद महत्वपूर्ण त्योहार है, जो नाग और सर्प देवताओं को समर्पित है. यह दिन नागों के प्रति सम्मान व्यक्त करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है. प्राचीन मान्यता है नाग देवताओं की पूजा से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और कष्ट दूर होते हैं. आइए जानते हैं, अगहन मास में नाग पंचमी कहां, क्यों और कैसे मनाया जाता है?

मार्गशीर्ष नाग पंचमी कब है?

यूं तो नाग पंचमी मुख्य रूप से सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है. लेकिन, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और यह महाराष्ट्र जैसे राज्यों में यह अगहन मास में भी बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है.आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और यह महाराष्ट्र जैसे राज्यों मनाई जाने वाली इस नाग पंचमी को मार्गशीर्ष नाग पंचमी कहा जाता है. यह पर्व इस साल मंगलवार, 25 नवंबर 2025 पड़ रही है.

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क्यों मनाते हैं मार्गशीर्ष नाग पंचमी?

यह नाग पंचमी मुख्य रूप से किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. मार्गशीर्ष यानी अगहन मास धान का फसल उत्पादन और खेती के चरम पर होता है. इस दौरान खेतों और खलिहानों में सांपों का दिखना आम होता है. किसान अपनी फसलों की रक्षा करने, अच्छी उपज पाने और सर्प दोष के बुरे प्रभावों को शांत करने के लिए नाग देवताओं की पूजा करते हैं. यह पूजा प्रकृति और जीव-जंतुओं के प्रति आभार व्यक्त करने का भी एक तरीका है.

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मार्गशीर्ष नाग पंचमी के तीन शुभ दिन

दक्षिण भारत के अनेक क्षेत्रों में, परिवार के बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण के लिए तीन दिन विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं, जिन पर 3 अलग-अलग देवताओं की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इन तीनों देवताओं की पूजा से रोगों से मुक्ति और परिवार को सुरक्षा मिलती है.

  • नाग पंचमी: मार्गशीर्ष शुक्ल की पंचमी के दिन नाग और सांप देवता पूजा होती है.
  • सुब्रमण्य षष्ठी या स्कंद षष्ठी: मार्गशीर्ष शुक्ल की षष्ठी तिथि को भगवान सुब्रमण्य यानी कार्तिकेय की पूजा होती है, जिन्हें नागों के संरक्षक के रूप में भी जाना जाता है.
  • मित्र सप्तमी या सूर्य सप्तमी: मार्गशीर्ष शुक्ल की सप्तमी तिथि के इस दिन सूर्य भगवान की पूजा होती है.

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मार्गशीर्ष नाग पंचमी पूजा की मान्यताएं

नाग पंचमी पर नाग देवताओं की पूजा करना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि कई गहरी मान्यताओं से जुड़ी है:

  • नाग देवताओं की स्तुति: यह त्योहार विशेष रूप से वासुकी (भगवान शिव के गले का सर्प), अनंत, शेषनाग और अन्य नाग देवताओं को समर्पित है.
  • प्रगति और सुरक्षा: मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से घर और परिवार को साँपों के भय से सुरक्षा मिलती है, तथा जीवन में समृद्धि और प्रगति आती है.
  • कालसर्प दोष से मुक्ति: जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उन्हें इस दिन नाग देवताओं की पूजा करने से दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं.

मार्गशीर्ष नाग पंचमी पूजा विधि

नाग पंचमी पर लोग श्रद्धापूर्वक नाग देवताओं की पूजा करते हैं:

  • अर्घ्य और भोग: नाग देवताओं की प्रतिमाओं या चित्रों पर दूध, फल, फूल, और अन्य भोग अर्पित किए जाते हैं.
  • मंदिर दर्शन: कई लोग नाग मंदिरों या सुब्रमण्य मंदिरों में जाकर विशेष पूजा-अर्चना करते हैं.
  • दूध चढ़ाना: कुछ परंपराओं में, सांपों को सुरक्षित रूप से दूध चढ़ाने का भी रिवाज है. (वर्तमान में यह पूजा मुख्य रूप से नाग देवताओं की प्रतिमाओं या मूर्तियों पर ही की जाती है.)
  • नाग देवता की मिट्टी की मूर्तियां: कई स्थानों पर, लोग नाग देवता की मिट्टी की मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा करते हैं और फिर उन्हें विसर्जित करते हैं.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.


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